रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती पर आयोजित जनजाति समाज गौरव कार्यक्रम में शामिल हुए कांकेर के पूर्व सांसद मोहन मंडावी
आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ की समृद्धशाली परंपरा की संवाहक है - मोहन मंडावी
भारत की बेटियों को रानी दुर्गावती के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए – दमयंती साहू
जल जंगल जमीन सहित प्रकृति के असल रखवाले हैं जनजाति समाजजन – जय हिंदुजा
धमतरी -: रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती पर भारत सरकार पूरे देश में जनजाति समाज के गौरवशाली अतीत ऐतेहासिक सामाजिक आध्यात्मिक योगदान पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन कर रही है जिस कड़ी में धमतरी के नारायण राव मेघावाले शासकीय कन्या महाविद्यालय में यह कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कांकेर के पूर्व सांसद मोहन मंडावी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए,कार्यक्रम की अध्यक्षता दमयंती साहू अध्यक्ष जनभागीदारी समिति ने किया, वहीं विशिष्ट अतिथि जय हिंदुजा ज़िला महामंत्री भाजयुमो,गीता साहू एवं प्राचार्य डॉ डी आर चौधरी उपस्थित रहे, कार्यक्रम में उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मोहन मंडावी ने कहा भगवान ने हर समाज को एक एक ज़िम्मेदारी दी है तभी सब मिलकर मानव समाज की रचना करते हैं ठीक उसी तरह आदिवासी समाज ने प्रभु राम को अपना आदर्श मानते हुए उनके जीवन चरित्र और जीवन संघर्ष को आत्मसात किया है और चरित्रवान समाज का निर्माण किया है और उसी आदर्श के पथ पर चलकर आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपरा की संवाहक बनकर उभरी है, गौरी गौरा होने से धन का उत्पादन बढ़ता है और गौरी गौरा भी आदिवासी घर से निकलती है, उस गौरवशाली और समृद्ध परंपरा को हम सबको जानना आवश्यक है,आदिवासी समाज कभी भीक्षा नहीं माँगते, कभी धर्मांतरण का समर्थन नहीं करते। वहीं अध्यक्षता कर रही दमयंती साहू ने कहा रानी दुर्गावती का योगदान भारत की स्वतंत्रता में अमिट रहा है उन्होंने मर्दानी के साथ मुग़लों से बिना डरे लड़ा है, उस भारत की वीरांगना के जीवन से भारत की प्रत्येक बेटियों को प्रेरणा लेना चाहिए, वहीं युवा भाजपा नेता जय हिंदुजा ने कहा रानी दुर्गावती ने मुग़लों से समझौता ना करते हुए अकबर की सेना के सिपाही आज़म ख़ान को सेना सहित उनके छक्के छुड़ाते हुए कई बार उन्हें खदेड़ा था, उनका शौर्य अविस्मरणीय है उनकी गौरवगाथाएँ सदैव हमारे मस्तिष्क पटल पर विराजित रहेंगी, आदिवासी समाज भारत का गौरवशाली समाज रहा है जल जंगल जमीन सहित प्रकृति के असल रखवाला कोई है तो वो आदिवासी समाज है क्योंकि प्रकृति से वैचारिक और भौतिक रूप से सबसे निकटतम कोई है तो आदिवासी समाज है,उनकी सेवा आध्यात्मिक रूप से भी बेहद उल्लेखनीय है,उक्त कार्यक्रम को एडिशनल कलेक्टर जी आर मरकाम एवं प्राचार्य डी आर चौधरी ने भी संबोधित किया,उक्त अवसर पर कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ रोहिणी मरकाम व आभार सहायक प्राध्यापक डॉ जे एल पाटले ने किया। मुख्य रूप से सहायक प्राध्यापक ओपी चंदे सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्राएँ उपस्थित रहीं।