विदेश

ताइवान से दूर रहो, उससे संबंध मत बनाओ; चीन ने भारत को दी गीदड़ भभकी…

चीन ने गुरुवार को गीदड़-भभकी देते हुए कहा कि अन्य देशों को ताइवान से दूर रहना चाहिए।

चीन का ये बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे, नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने ताइवान का दौरा किया था। चीन ने कहा है कि भारत को “एक चीन सिद्धांत” का पालन करना चाहिए और ताइवान के साथ “सैन्य और सुरक्षा” सहयोग नहीं करना चाहिए। ताइवान एक स्व-शासित द्वीप है जिस पर चीन अपना दावा करता है।

पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे, नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह और वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने 8 अगस्त को केटागलन फोरम के 2023 इंडो-पैसिफिक सुरक्षा संवाद के लिए ताइपे का दौरा किया था।

इसे भारतीय सशस्त्र बलों के पूर्व शीर्ष नेतृत्व की एक साधारण लेकिन बेहद दुर्लभ यात्रा माना जा रहा है। इस यात्रा से चीन भड़का हुआ है। ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने ताइवानी विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण दिया था।

यात्रा के तीन हफ्ते बाद, चीनी विदेश मंत्रालय से जब इस संबंध में टिप्पणी मांगी गई, तो उन्होंने सीधे भारत का नाम लिए बिना कहा कि वह ऐसी यात्राओं का “दृढ़ता से विरोध” करता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने गुरुवार को बीजिंग में नियमित ब्रीफिंग के दौरान कहा, “चीन ताइवान अधिकारियों और चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी प्रकार की आधिकारिक बातचीत का दृढ़ता से विरोध करता है।”

चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित प्रेस कॉन्फ्रेंस के अनुसार, वांग ने कहा, “यह हमारी सुसंगत और स्पष्ट स्थिति है।”

एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के सवाल का जवाब देते हुए वांग ने कहा, “हमें उम्मीद है कि संबंधित देश एक-चीन सिद्धांत का पालन करेगा, ताइवान से संबंधित मुद्दों को विवेकपूर्ण और उचित तरीके से संभालेगा और ताइवान के साथ किसी भी प्रकार के सैन्य और सुरक्षा सहयोग से परहेज करेगा।” भारतीय अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

भारत एक-चीन सिद्धांत का पालन करता है लेकिन एक दशक से भी अधिक समय से द्विपक्षीय दस्तावेजों में इसे दोहराना बंद कर दिया है। हालांकि, नई दिल्ली ने ताइवान के साथ अनौपचारिक संबंध बनाए रखे हैं।

बीजिंग दावा करता है कि ताइवान एक अलग हुआ क्षेत्र है जिसे जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक मुख्य भूमि में मिलाया जा सकता है। त्साई इंग-वेन सरकार ने बीजिंग के दावों को खारिज करते हुए कहा कि यह ताइवान के लोग हैं जो अपना भविष्य खुद तय करेंगे।

एक दिन पहले ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने बुधवार को कहा था कि ताइवान को डराने-धमकाने के लिए चीन तेजी से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि ताइवान को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सार्थक रूप से भाग लेने की अनुमति देना शांति के लिए एकजुट होने के वैश्विक निकाय के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करेगा।

बीजिंग द्वारा एक नया ‘‘मानचित्र’’ जारी करने के कुछ दिनों बाद वू ने कहा कि चीन का विस्तारवाद ताइवान पर नहीं रुकता है और पूर्वी तथा दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों का इस्तेमाल अपनी शक्ति का विस्तार करने और अपने क्षेत्रीय दावों को साबित करने के लिए किया जाता है।

News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!