विदेश

BRI में इटली के साथ खेल गया चीन? क्यों इस प्रोजेक्ट से निकलने को है बेचैन…

BRI यानी चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव से इटली बाहर होने का मन बना नजर आ रहा है। राजधानी दिल्ली में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान इसके संकेत मिले।

हालांकि, इटली BRI से बाहर होगा या नहीं, इसे लेकर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। कहा जा रहा है कि इसकी वजहें आर्थिक के अलावा अन्य भी हो सकती हैं।

रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा, ‘कुछ यूरोपीय देश हैं, जो हाल के सालों में बेल्ट एंड रोड का हिस्सा नहीं रहे, लेकिन (चीन) के साथ ज्या अनुकूल संबंध बनाने में सक्षम रहे हैं।

मुद्दा यह है कि BRI पर हम जो फैसला लेंगे उसे छोड़कर ऐसी साझेदारी की गारंटी कैसे दी जाए, जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो।’ 

उन्होंने जानकारी दी कि चीन ने उन्हें बीजिंग आने का न्योता दिया है, लेकिन अब तक तारीख तय नहीं हो सकी है। साथ ही चीन सरकार ने अक्टूबर में होने वाले BRI फोरम में भी इटली को बुलाया है।

क्या BRI छोड़ना चाहता है इटली?
खबर है कि 10 सालों में तीन बार मंदी का सामना करने वावे इटली ने BRI का रास्ता उस समय चुना, जब उसे निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर की बेहद जरूरत थी।

उस दौरान इटली के EU यानी यूरोपीय संघ के साथ अच्छे संबंध नहीं थे और सरकार फंड्स के लिए चीन का रुख कर सकती थी। अब कहा जा रहा है कि चार सालों के बाद इटली को इस समझौते से खास कुछ नहीं मिला है।

आंकड़ों में समझें
एक मीडिया रिपोर्ट में काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स के आंकड़ों से बताया गया है कि इटली में चीन का FDI 2021 में 33 मिलियन डॉलर पर आ गया है।

साल 2019 में यह आंकड़ा 650 मिलियन डॉलर पर था। इतना ही नहीं कहा जा रहा है कि चीन ने यूरोप में ऐसे देशों में ज्यादा निवेश किया है, जो BRI का हिस्सा नहीं हैं। व्यापार के लिहाज से भी इटली को कुछ खास मिलता नजर नहीं आ रहा है।

BRI से जुड़ने के बाद से ही चीन के लिए इटली का निर्यात 14.5 बिलियन यूरो से बढ़कर सिर्फ 18.5 बिलियन यूरो तक पहुंचा है।

वहीं, इटली में चीन का निर्यात भी 33.5 बिलियन डॉलर से 50.9 बिलियन यूरो तक पहुंचा है। अब कहा यह भी जा रहा है कि अगर चीन BRI से बाहर निकलने का फैसला कर लेता है, तो इसकी वजहें आर्थिक के अलावा भी हो सकती हैं।

ये देश रहे शामिल
G7 में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। इनमें सिर्फ इटली ने ही BRI के लिए हामी भरी थी। कहा जाता है कि चीन में राजनेताओं का एक वर्ग इस समझौते को लेकर शिकायतें भी कर चुकी है कि इससे इटली से ज्यादा चीन को फायदा मिला है।

News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!