बिजली के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी और भारी भरकम बिल से जनता है परेशान
फ्यूल पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज लागू होने से लगातार बढ़ रहा बिजली का दाम, बढ़ते जा रहा ऊर्जा प्रभार
सुरक्षानिधि के नाम पर लिया गया भारी भरकम अतिरिक्त बिल, और ऊर्जा प्रभार में फिर वृद्धि की पड़ रही मार
धमतरी । छत्तीसगढ़ सरप्लस राज्य है यहां की बिजली अन्य राज्यों को बेची जाती है, लेकिन यहां ही लगातार बिजली के दामों में वृद्धि कर आम जनता को मंहगाई के आग में झोंका जा रहा है। पहले सुरक्षा निधि और अब लगातार ऊर्जा प्रभार में वृद्धि आमजनता को भारी पढ़ रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश में उत्पादन लागत और अन्य खर्चो के अंतर को कवर करने के लिए फ्यूल पावर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज(एफपीपीएएस) लागू किया गया है। पिछले साल अप्रैल में इसे लागू किया गया था। इसके बाद इसके प्रतिशत में उतार चढ़ावे आते रहे है। अब वर्तमान में भाजपा सरकार द्वारा इस एफपीपीएएस का उपयोग कर लगातार बिजली के दामों में वृद्धि करती जा रही है। अब तक लगभग 17 फीसदी ऊर्जा प्रभार या कहे दाम बढ़ाये जा चुके है। जिससे आम उपभोक्ता सहित उद्योगो के बिजली बिल के भारी अंतर आ रहा है। गत माह 3 फीसदी ऊर्जा प्रभार में वृद्धि पुन: की गई है। इसका असर बिजली बिल पर दिख रहा है।
बता दे कि पिछले महीने ही सुरक्षा निधि के नाम पर दो से तीन गुणा बिजली बिल उपभोक्ताओं से वसूला गया है। वहीं लगातार बिजली के दाम में वृद्धि से जनता बिजली विभाग और राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा कर रही है।
बिजली बिल हाफ के बाद भी ज्यादा बिल
विद्युत उपभोक्ताओं में बढ़ते विद्युत दरों से असंतोष पनप रहा है। विद्युत उपभोक्ता केशव कुमार, कमलचंद सोरी का कहना है कि जब पहले बिजली बिल हाफ योजना नहीं थी तब भी कभी इतना बिजली बिल नहीं आता था। अब बिजली बिल हाफ होने के बाद भी पहले से कई गुणा ज्यादा बिल आता है। इसलिए कई बार तो ऐसा लगता है कि योजना का लालीपाप देकर मनमाने ढंग से बिजली बिल बढ़ाकर आम उपभोक्ताओं को छला जा रहा है।
स्मार्ट मीटर पर उपभोक्ता जता रहे संदेह
कई उपभोक्ताओं का कहना है कि जब से पुरानी बिजली मीटर के स्थान पर नया स्मार्ट मीटर लगा है। तब से बिजली बिल में कई गुणा बढ़ोत्तरी हो गई है। ऐसे में भविष्य में हमेसा भारी भरकम बिजली बिल चुकाना पड़ेगा, इसलिए वे स्मार्ट मीटर का विरोध करने लगे है। स्मार्ट मीटर पर संदेह बढ़ता जा रहा है। हालाकि ज्यादा बिल खपत और बढ़े हुए दर सुरक्षानिधि और एफपीपीएएस जैसे समायोजन राशि वसूलने के कारण आता है। लेकिन उपभोक्ताओं का भरोसा जीतने विद्युत विभाग को प्रयास करना चाहिए।