विकसित भारत के लिए सहकारिता अपरिहार्य: डॉक्टर दीक्षित

धमतरी-सहकार से समृद्धि की परिकल्पना को साकार करने के साथ ही सहकारी आंदोलन को मजबूती प्रदान करने हेतु प्रशिक्षण के माध्यम से कृषकों, सहकारी सदस्यों को जागरुक कर सहकारी समितियो को अपने आर्थिक विकास एवं विस्तार की संभावनाओं से अवगत कराने कुरूद विकासखंड के कोऑपरेटिव बैंक शाखा कुरूद के अंतर्गत 9 पैक्स समितियो के सदस्यों व कृषकों हेतु एकदिवसीय प्रशिक्षण 28 अप्रैल 2025 को प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति मर्यादित कातलबोड़ के कार्यालय परिसर में जिला सहकारी संघ धमतरी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के तहत आयोजन किया गया।कार्यक्रम में जिला सहकारी संघ धमतरी के प्राधिकृत अधिकारी सीपी साहू, प्रबंधक ए पी गुप्ता, प्रशिक्षक डॉक्टर ए एन दीक्षित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी डी आर पटेल की गरिमामयी उपस्थिति में दीप प्रज्वलन व भारत माता के चित्र पर पूजन अर्चन कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षक डॉक्टर दीक्षित ने कहा की सहकारी आंदोलन व्यवसायिक संगठन के साथ ही एक सामाजिक, नैतिक एवं लोकतांत्रिक आंदोलन भी है। 1904 के कृषि साख अधिनियम से प्रारंभ होने वाली तथा 1912 के सहकारिता अधिनियम के बाद पल्लवित सहकारी आंदोलन ने आज देश में 8.5 लाख सहकारी समितियो को खड़ा कर दिया है, जिसमें 30 करोड़ सदस्य हैं। इन समितियो में 20 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त है, जो कि देश में कुल रोजगार का 13 प्रतिशत है।देश में सहकारी आंदोलन ने उल्लेखनीय प्रगति की है। कृषि साख की पूर्ति में 36 प्रतिशत योगदान करती है। कृषकों के फसल खरीदने और उसके विपणन में भी सहकारी समितियां अग्रणी है। सहकारी चीनी मीलें देश के चीनी उत्पादन का 45 प्रतिशत उत्पादन कर रही है। डेयरी क्षेत्र में अमूल जैसी समितियां प्रतिदिन 30 मिलियन लीटर दूध 1.60 करोड़ किसानों से खरीद रही है, जिसके कारण आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। अनाज भंडारण में सहकारी क्षेत्र का योगदान 30 प्रतिशत तथा ग्रामीण परिवहन में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी सहकारी क्षेत्र की है। इन आंकड़ों के आधार पर भारत में सहकारी क्षेत्र की सफलता की कहानी लिखी जा सकती है, परंतु वास्तविकता उतनी उत्साहजनक नहीं है। यह एक सामान्य कथन है कि सहकारिता का पौधा विदेशों से लाकर देश में रोपा गया,यह बड़ा हुआ, इसका फैलाव भी खूब हुआ, परंतु इसमें फल नहीं लगे एक स्वायत्त संगठन के रूप में सहकारी समितियां अभी तक अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी है। प्रत्येक कार्य के लिए अधिकांश समितियां आज भी शासकीय सहायता पर निर्भर है, जो इन समितियो की स्वायत्तता पर असर डालती है। प्रबंध की अकुशलता इन समितियो की आम बीमारी है। ऊंचे आदर्शों के बात करके उच्च व्यावसायिक प्रबंधन की अवहेलना करना सहकारी क्षेत्र में सामान्य बात है। वित्तीय संकट के कारण भी ये समितियां कुशल, पेशेवर प्रबंधकों की सेवाएं प्राप्त करने में विफल रहती हैं। सहकार से समृद्धि मंत्र को सफल बनाकर देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें प्रत्येक सहकारी समिति से इन विसंगतियों को दूर करने हेतु तत्पर होना होगा।कार्यक्रम को मंचासीन अतिथियों द्वारा भी संबोधित किया गया। इफको धमतरी के षडबदन सिन्हा द्वारा नैनो यूरिया व नैनो डीएपी के उपयोगिता पर जानकारी दी। इस अवसर पर पैक्स कातलबोड़ के सहायक प्रबंधक शिवनंदन बैस सहित कर्मचारी गण, सहकारी सदस्य व कृषक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संघ प्रबंधक ए पी गुप्ता एवं आभार प्रदर्शन पैक्स के सहायक प्रबंधक शिवनंदन बैस ने किया।

