औसतन हर साल दो जज दे रहे इस्तीफा, जानें- किस बात से सबसे ज्यादा खफा ‘मी लॉर्ड’…
पिछले दिनों बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ के न्यायाधीश जस्टिस रोहित बी देव ने ओपन कोर्ट में कथित तौर पर यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि वह आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते।
जस्टिस देव को जून 2017 में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, जब वह महाराष्ट्र के महाधिवक्ता थे। अप्रैल 2019 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।
वह 4 दिसंबर, 2025 को सेवानिवृत्त होने वाले थे। हालांकि, जस्टिस देव ऐसे पहले जज नहीं हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट से पहले ही पद छोड़ा है।
आंकड़ों पर गौर करें तो पाते हैं कि वर्ष 2017 के बाद से विभिन्न हाई कोर्ट्स के कम से कम 12 जजों ने अपने पदों से इस्तीफा दिया है। यानी औसतन हर साल दो जज ने इस्तीफा दिया है।
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट सबसे आगे हैं, जहां सबसे ज्यादा जजों ने इस्तीफा दिया है। यदि अतिरिक्त न्यायाधीशों के इस्तीफों को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या 16 हो जाती है।
जजों के पद छोड़ने या इस्तीफा देने के कारणों में अधिकांश ने इसे स्वैच्छिक और व्यक्तिगत कारण बताए हैं, जबकि उनमें से कुछ ने सेवा से संबंधित परिस्थितियों को कारण बताया है।
कुछ जजों के कारणों में तबादला या मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति से इनकार शामिल है।
2017 से अब तक इन जजों ने दिया इस्तीफा:
जस्टिस जयंत पटेल (2017);
जस्टिस नक्का बालयोगी (2018);
जस्टिस वी ताहिलरमानी (2019);
जस्टिस अनंत बिजय सिंह (2020);
जस्टिस एससी धर्माधिकारी (2020);
जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल (2020);
जस्टिस सुनील कुमार अवस्थी (2021);
जस्टिस शरद कुमार गुप्ता (2021);
जस्टिस दामा शेषाद्रि नायडू (2021);
जस्टिस अजय तिवारी (2022);
जस्टिस चंद्र भूषण बारोवालिया (2022);
जस्टिस रोहित बी देव (2023)
हालिया इस्तीफा देने वाले अंतिम जज जस्टिस रोहित देव हैं, जिन्होंने शुक्रवार सुबह खुली अदालत में अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वह ‘व्यक्तिगत कारणों’ से पद छोड़ रहे हैं। हालाँकि, ऐसी अटकलें हैं कि उन्होंने स्थानांतरण की संभावना के कारण इस्तीफा दिया है। वह अपने मूल उच्च न्यायालय को नहीं छोड़ना चाहते थे।
जस्टिस जयंत पटेल ने चीफ जस्टिस न बनाकर दूसरे हाईकोर्ट में भेजे जाने से खफा होकर 2017 में इस्तीफा दे दिया था। तब वह कर्नाटक हाई कोर्ट में तैनात थे। वह मूलत: गुजरात हाईकोर्ट से थे। 2018 में हैदराबाद हाई कोर्ट के जस्टिस नक्का बालयोगी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया थाष राष्ट्रपति ने उसे स्वीकार भी कर लिया था लेकिन इस्तीफा प्रभावी होने की तारीख से पहले उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था।
इस्तीफा देने वालों में दो महिला जज भी शामिल हैं। जस्टिस वी ताहिलरमानी ने 2018 में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस बनाई गई थीं। 11 महीने बाद ही उनका तबादला मेघालय कर दिया गया था, इससे नाराज होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। बाद में देश की चीफ जस्टिस ने उनके खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। एक अन्य महिला जज जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने अपने रिटायरमेंट से एक महीने पहले ही मई 2020 में इस्तीफा दे दिया था। तब वह दिल्ली हाई कोर्ट में तैनात थीं।