देश

जब अब्दुल कलाम ने पूछा कि हम चांद पर जाने का क्या सबूत देंगे, बदलना पड़ा था चंद्रयान 1 का डिजाइन…

चंद्रयान-3 की लैंडिंग का इंतजार खत्म हो चुका है।

भारत ने आखिर चांद की जमीन पर बुधवार शाम कदम रख दिया I इसके साथ ही भारत के पहले मून मिशन यानी चंद्रयान-1 की यादें ताजा हो गईं। 

कहा जाता है कि उस दौरान चर्चाएं होने लगी थीं कि आखिर इसका क्या सबूत होगा कि चंद्रयान-1 चांद पर पहुंचा था? तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम खुद इस चर्चा का हिस्सा रहे थे।

दरअसल, साल 2008 में चांद पर जाने का भारत का पहला मिशन यानी चंद्रयान-1 महज एक ऑर्बिटर था। उस दौरान अंतरिक्ष यान को तैयार किया जा रहा था।

तब तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ISRO के दफ्तर पहुंचे थे। एक मीडिया रिपोर्ट में ISRO के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर के हवाले से बताया गया है कि कलाम ने तब वैज्ञानिकों से पूछा था कि चंद्रयान-1 के पास यह दिखाने के लिए क्या सबूत होगा कि वह चांद पर पहुंचा था।

वैज्ञानिकों के सुझाव से संतुष्ट नहीं हुए कलाम
कहा जाता है कि तब वैज्ञानिकों ने कहा कि यान चांद की सतह की तस्वीरें ले लेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर कलाम ने सिर हिलाया और कहा कि यह पर्याप्त नहीं होगा।

उन्होंने सुझाव दिया कि अंतरिक्ष यान में एक उपकरण होना चाहिए, जिसे चांद की सतह पर गिराया जा सके। तब ISRO ने कलाम की सलाह को माना यान की डिजाइन में कुछ बदलाव किए।

इसके चलते ही मून इम्पैक्ट प्रोब लूनर सर्फेस (चांद की सतह) पर पहुंचा और चांद पर पहली भारतीय चीज बना।

चंद्रयान-1 की कहानी
भारत का चांद पर पहला मिशन चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से ही लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष यान चांद की सतह से 100 किमी ऊपर केमिकल, मिनरलोजिकल और फोटो जियोलॉजिक मैपिंग के लिए चक्कर काट रहा था। यान में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में बने 11 उपकरण भी शामिल थे।

मिशन के सभी अहम उद्देश्यों को पूरा करने के बाद मई 2009 में ऑर्बिट को 200 किमी बढ़ा दिया गया था। 29 अगस्त 2009 में ISRO का अंतरिक्ष यान के साथ संपर्क टूट गया था।

News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!