महिला आरक्षण विधेयक मोदी सरकार का चुनावी जुमला- शरद लोहाना
धमतरी लोकसभा में पेश महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को चुनावी जुमला करार देते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष शरद लोहाना ने कहा है कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है, क्योंकि विधेयक में कहा गया है कि ताजा जनगणना और परिसीमन के बाद यह 2029 से लागू होगा. मोदी सरकार का ये कदम इवेंट मैनेजमेंट के अलावा और कुछ भी नही है. जो 2014 से करते आ रहे है। मोदी सरकार 2021 की जनगणना कराने में विफल रही है. विधेयक में कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा. क्या मोदी सरकार 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन करा पाएगी. यदि नही तो प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से कुछ माह पहले एक और जुमला फेका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वास घात किया है उनके उम्मीदो को तोड़ा है. श्री लोहाना ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी लगातार महिलाओं के हितों के लिए लड़ाई लड़ती रही है महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ। लेकिन लोकसभा में पारित नही हो पाया मोदी सरकार जिस प्रकार अभी इवेंट मैनेजमेंट के लिए तत्परता दिखा रहे हैं कुछ समय पहले दिखाई होती तो हो सकता है कि महिलाओं को अपने अधिकार के लिए 2029 का इंतजार नहीं करना पड़ता। कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए। श्री लोहान ने आगे कहा कि सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह संख्या 40 प्रतिशत के आसपास है।