मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल लाकर आगामी चुनावों में अनैतिक लाभ अर्जित करना चाह रही हैं – विपिन साहू
धमतरी आजाद भारत में सर्व प्रथम महिला आरक्षण बिल 1996 में युनाइटेड फ्रंट की देवगौड़ा सरकार ने पेश किया था महिला आरक्षण बिल तभी से एक राजनीतिक विधेयक बिल प्रतीत होता नज़र आ रहा था परंतु 2004 में कांग्रेस पार्टी की मनमोहन सरकार ने देश की उच्च सदन राज्यसभा में इस बिल को बहुमत के साथ पारित करवाया था तब बीजेपी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस बिल का विरोध किया था आज चुनावी फायदा अर्जित करने फिरसे वहीं बिल को सदन के पटल पर रखा जा रहा हैं क्योंकि राज्यसभा एक स्थायी सभा हैं जो कभी भंग नहीं होती जो बिल 2004 में राज्यसभा में पारित हुआ था आज उसी बिल को मोदी सरकार पेश कर रही हैं सवाल यह उठता हैं जिस पार्टी में कभी महिला नेतृत्व उच्च पद पर नहीं पहुँच पायी बीजेपी की ही साख़ा कहे जाने वाली आर एस एस में आज तक उच्च पद पर किसी महिला को स्थान प्राप्त नहीं हो पाया आज वो पार्टी महिला आरक्षण बिल लाकर सिर्फ चुनावी फ़ायदा बनाने चाहती हैं अगर यह बिल पास भी हो जाता हैं तब भी इस पुरे देश में लागू होने में करीब 2029 तक समय लगेगा देश में 2014 से मोदी सरकार हैं बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र 2014 में महिला आरक्षण की बात कही थी परंतु 2014 से 2019 तक यह सिर्फ घोषणा पत्र पर ही नज़र आया उसके बाद उनके दूसरे कार्यकाल का भी अंतिम समय बचा हैं आखरी विशेष सदन में इस बिल को पेश करना जनता को मूर्ख बनाने वाली बात हैं मोदी सरकार भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर करने व संसद में उनकी प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के बजाए अपना निजी व राजनीतिक फ़ायदा प्राप्त करने एक झलावा के रूप में इस विधेयक को पेश करने जा रही हैं जो एक दुर्भाग्यपूर्ण बात हैं!!!