जंगलों में बना रहे अवैध महुआ शराब
पुलिस से बचने झाडिय़ों और वनों में रखा जाता है महुआ लाहान व शराब को छुपाकर
धमतरी । अवैध महुआ शराब की बिक्री सालों से जिले में हो रही है। इन पर रोक व कार्रवाई के नाम पर कभी पुलिस तो कभी आबकारी विभाग द्वारा छुटपुट कार्रवाई की जाती है। लेकिन यह प्रयास नाकाफा साबित हो रहा है। और अवैध महुआ शराब का निर्माण व बिक्री थम नहीं पा रही है। बता दे कि महुआ शराब का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रो में ही होती है और बिक्री भी यही से होती है। कई नशापान करने वाले महुआ शराब के शौकीन होते है। जो कि शौक पूरा करने पीते है। वहीं कुछ लोग रोजाना ही महुआ शराब का सेवन करते है। दरअसल कम पैसे में उन्हें ज्यादा नशा चाहिए होता है जो कि महुआ शराब से मिल जाता है। पिछले कुछ सालों में महुआ शराब का निर्माण और बिक्री के मामले घटे है। लेकिन आज भी कई लोग अवैध महुआ शराब का निर्माण व बिक्री कर रहे है। वे अपने इस अवैध कारोबार को अपने निवास आदि पर न करते हुए महुआ शराब का निर्माण पास के जंगलो में करते है। ताकि कभी पुलिस छापामार कार्रवाई करे भी तो रंगेहाथ न पकड़े जाये और इसकी यह चाल सक्सेस भी हो रही है। बता दे कि गंगरेल बांध के अन्य छोरो के आसपास के कुछ गांव में आज भी धड़ल्ले से अवैध तरीके महुआ शराब का निर्माण व बिक्री जारी है। यदि इस ओर योजनाबद्ध तरीके से मुखबिरों का जाल बिझाकर जांच कार्रवाई की जाये तो अवैध महुआ शराब का बड़ा मामला सामने आ सकता है।
मिलावट से शरीर को ज्यादा नुकसान
बता दे कि महुआ शराब के नाम पर कुछ लोगों द्वारा मिलावटी शराब भी परोसा जाता है। यदि इन मिलावटी महुआ शराब का लगातार सेवन किया जाये तो सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। लीवर व अन्य महत्वपूर्ण अंग डैमेज होने का खतरा बना रहता है इसके अतिरिक्त कोरानाकाल के दौरान जब शराब दुकाने महीनों बंद रही थी तो शराबियों की छटपटाहट का फायदा महुआ शराब विक्रेताओं ने खूब उठाया था। महुआ शराब के नाम पर तरह-तरह के मिलावटी शराब की जमकर बिक्री मनमाने दाम पर की गई थी। इस दौरान कई लोगों की सेहत इस मिलावटी महुआ शराब के कारण बिगड़ गई थी।