चौपाटी से व्यवसाईयों और लोगों होते जा रहा है मोह भंग
लगातार घटती जा रही है लगने वाले ठेलो की संख्या, लोगों की संख्या भी हुई कम
धमतरी। शहर में परिवार दोस्तों संग खुशनुमा सुरक्षित माहौल में खाने पाने की विभिन्न वस्तु में एक साथ उपलब्ध होने वाले स्थान की सालों से कमी महसूस हो रही थी। आखिरकार निगम की पहल पर यहां वहां बिखरे ठेलो को एक स्थान पर लाया गया और उसे मकई गार्डन के किनारे लगवा कर चौपाटी बनाया गया। शुरुवात में तो लोग बड़ी संख्या में पहुंचे लेकिन धीरे-धीरे अब लोगों और व्यवसायियों का मोह भंग होने लगा है। बता दे कि लगातार मकई गार्डन चौपाटी में लगने वाले ठेलो की संख्या घटती जा रही है। यदि इसी प्रकार स्थिति बनी रही तो भविष्य में इस एक मात्र चौपाटी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जायेगा। यहां के कुछ ठेला व्यवसायियों ने बताया कि जब उन्हें यहां शिफ्ट किया गया था तब हर प्रकार की सुविधायें उपलब्ध करवाने की बात कही गई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां आये दिन असामाजिक तत्व उत्पात मचाते है। स्वच्छता का भी बुरा हाल है। पानी की भी सुविधा नहीं है। इसका असर उनके व्यापार पर पड़ रहा है। लोगों की संख्या लगातार घट रही है। जनता का मोह चौपाटी से कम होते जा रहा है। इसलिए अब व्यापार कम होने से नुकसान भी हो रहा है।
रमसगरी तालाब के पास चौपाटी का नहीं रहा अस्तित्व
बता दे कि निगम द्वारा मकई गार्डन चौपाटी की सफलता से उत्साहित होकर शहर में अन्य स्थानों पर चौपाटी बनाने जुट गई। रमसगरी तालाब के पास सड़क किनारे खाली भूमि पर आनन-फानन में में कुछ ठेले वालों को ठेला लगाने मनाकर चौपाटी का शुभारंभ कर दिया गया लेकिन कुछ ही दिन में यह चौपाटी बंद हो गयी। यहां लोग पहुंचे ही नहीं नतीजन ठेले वालों ने भी ठेला लगाना बंद कर दिया। इसी प्रकार सिटी पार्क गौशाला मैदान के पास भी एक चौपाटी विकसित करने की निगम की योजना थी लेकिन यह धरातल पर ही नहीं आ पाया।
निगम नहीं ले रही सुध
मकई गार्डन में ठेला लगाने वालों ने निगम पर उदासीनता बरतने का आरोप लगाया है। इनका कहना है कि चौपाटी में ठेला लगाने के लिए काफी मिन्नते की गई और पूरी सुविधाये देने का भरोसा दिलाया गया। लेकिन अब यहां स्थिति बिगड़ती जा रही है और निगम के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि व अधिकारी यहां झांकने तक नहीं आते। अभी भी समय है यदि निगम सुध ले तो इस एक मात्र चौैपाटी को संजीवनी मिल सकती है।