1.59 लाख निवेशकों से चिटफंड कंपनियों ने ठगे 423 करोड़, सालों से रकम वापसी के इंतजार में निवेशक
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन से चिटफंड कंपनियों के निवेशको में जगी रकम वापसी की उम्मीद
जिले के लाखों निवेशकों में से कुछ निवेशकों को ही मिल पाई रकम वापस, फिर उठी रकम वापस दिलाने की मांग
धमतरी । साल 2018 में विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने घोषणा पत्र जारी किया था जिसमें चिटफंड कंपनियों में डूबे निवेशकों की रकम वापसी कराने की बात कही गई थी। लेकिन भूपेश सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी आज तक काफी कम निवेशकों की रकम वापसी जिले में हो पाई है। अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बने है। ऐसे में चिटफंड निवेशको में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन से डूबी रकम वापसी की उम्मीद बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि जिले में लगभग 1.59 लाख निवेशकों ने विभिन्न लगभग 335 चिटफंड कंपनियों में निवेश किया। शुरुवात में कंपनियों ने भारी रकम वापसी के कई लुभावने स्कीम लाये। साथ ही स्थानीय लोगों को फंसाने एजेंटो को भारी कमीशन देने का वादा किया जिसमें लालच में कई लोग आ गये तेजी से एजेंट बने एजेंटो ने अपने परिचितों से पैसे विभिन्न स्कीम में जमा कराये जिसमें लगभग जिले में निवेशकों के 423 करोड़ रुपये फंस गए है। कंपनियों ने पैसे बटोरने के समय कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन जब लौटाने की बारी आई तो कंपनी रफुचक्कर हो गई और निवेशक बर्बाद हो गए। आज भी निवेशक कंपनी एजेंटो व स्वयं को कोसते है। इस दौरान कई बड़े राजनीतिक पार्टियों द्वारा रकम वापसी के लिए वादे किए गए लेकिन कोई वादो पर खरा उतर नहीं पाया। मात्र कुछ चुनिंदा छोटे कंपनियों की संम्पत्ति कुर्की कर रकम जुटाई गई जो निवेशकों की तुलना में ऊंट के मुह में जीरे के सामान है। वहीं अधिकांश कंपनियों के मामले कोर्ट में लंबित है। ऐसे में सरकार व प्रशासन चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है। इसलिए निवेशकों का इंतजार बढ़ता जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार सन साईन जेएसबी, रियल इंफ्रा इंडिया लिमिटेड, सांई प्रसाद प्रापर्टीज माइक्रो फायनेंस महानदी एडवायजरी सर्विसेस, देवयानी चिटफंड, बीएनपी इंडिया, की संपत्ति कुर्की होगी लेकिन मामले कोर्ट में पेडिंग है। स्टे हटते ही कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई की जायेगी।
कंपनी मालामाल, एजेंटो का जीना बेहाल
बता दे कि जब कुछ साल पहले चिटफंड कंपनियों के भागने का सिलसिला शुरु हुआ तो एक के बाद एक कई कंपनिया फरार हो गई। करोड़ो अरबों डूब गए। इसका सबसे ज्यादा दबाव निवेशकों पर पड़ा और निवेशक एजेंटो पर दबाव बनाने लगे सवाल जबाव व लोगों के तानों से प्रदेश के कुछ एजेंटो ने आत्मघाती कदम भी उठाये। कई एजेंटो पर मामले भी दर्ज हुए उसके बाद संगठन बनाकर एंजेटो ने मांग रखी तब कंही जाकर उन्हें राहत मिली लेकिन आज भी एजेंटो को समय समय पर निवेशकों का ताने सुनने पड़ रहे है।