ईद की नमाज सुबह 10.30 बजे ईदगाह में अदा की जाएगी
रोजों का पाक महीना रमजान विदा होने वाला है
धमतरी। रोजों का पाक महीना रमजान अपने आखिरी अशरह में है। ईद की खुशियां मनाने को लेकर समूचा मुस्लिम समुदाय उत्साहित है। ईद की तैयारियां तेज हो गई है। ईद के लिए मीठी सेंवई, नए कपड़ों की खरीददारी में रौनक दिखाई दे रही है। रमजान महीने का उनतीसा चांद नजर आने पर 10 अप्रैल बुधवार को या फिर तीसवां चांद के एतबार से 11 अप्रैल गुरूवार को ईद-उल-फित्र मनाई जाएगी। ईद की नमाज ईदगाह में सुबह 10.30 बजे होगी। यह जानकारी अंजुमन ईस्लामिया कमेटी धमतरी की ओर से दी गई है। सभी मस्जिदों में इस आशय का ऐलान कराया गया है। अंजुमन ईस्लामियां कमेटी ने कहा है कि ईद-उल-फित्र नमाज के लिए वक्त का खास ख्याल रखते हुए ईदगाह तशरीफ लाएं। नमाज ठीक सुबह 10.30 बजे शुरू की जाएगी। जामा मस्जिद के ईमाम मौलाना मोहम्मद रहमानी रजा मिस्बाही बरकाती नमाज अदा कराएंगे। ईदगाह पहुंचने वाले लोगों को अपनी सायकल, मोटर सायकल, कार के पार्किंग के लिए जैनब पैलेस में करने के लिए कहा गया है। ईदगाह के सामने, कब्रस्तान के सामने, रजा मार्केट व अंजुमन मार्र्केट के सामने वाहनों को खड़ी न करने की गुजारिश की गई है। जिससे आवाम को कोई परेशानी न हो।
*शबे कद्र की रातभर हुई ईबादत*
26 वां रोजा पूरा होने के बाद शनिवार रात शबे कद्र के मौके पर मुस्लिम भाईयों ने ईबादत में गुजारी। कुरआन की तिलावत, दीगर वजायफ समेत अल्लाह और उनके प्यारे हबीब को याद करते हुए ईबादत की गई। इसी तरह एक माह तक चलने वाले विशेष नमाज तरावीह मुकम्मल हुई। तरावीह पढ़ाने वाले हाफिजों को मस्जिदों और मदरसा कमेटियों की जानिब से नजराना पेश किया गया। जिसमें नकद रकम और कपड़े वगैरह शामिल है। अनेक लोगों ने भी अपनी ओर से मौलाना, हाफिज और मोअज्जनों को भी नजराना के तौर पर पैसे और कपड़े दिए। इसी तरह मस्जिद के भीतर 10 दिनों के लिए एअतिकाफ में बैठे युवाओं और बुजुर्गो की हौसला अफजाई करते हुए उन्हें भी नजराना दिया गया।
*27 वेंं रोजे की सहरी कराई गई*
शबे कद्र की रात गुजरने पर रविवार सुबह 27 वें रोजे के लिए शहर के सभी मस्जिदों में सहरी का विशेश इंतजाम किया गया। जामा मस्जिद, हनफिया मस्जिद, मस्जिद गरीब नवाज, मदीना मस्जिद व अन्य मदरसा शामिल हैं। जहां रोजेदारों को सहरी कराई गई। सहरी कराने में इंतजामियां कमेटी के अलावा अनेक लोगों ने सहयोग किया।
*ईद की नमाज से पहले सदका-ए-फित्र देना जरूरी*
जामा मस्जिद धमतरी के ईमाम मौलाना मोहम्मद रहमानी रजा मिस्बाही बरकाती ने बताया कि साहिबे रसूल हजरत अनस रदिअल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि हुजुर अकदस सल्ललाहु अलैहिवसल्लम ने फरमाया कि बंदा का रोजा आसमानों जमीन के दरमियान मुअल्लक रहता है जब तक सदका-ए-फित्र अदा न हो जाए। सदकाए फित्र ईद की नमाज के पहले अदा करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि सदकाए फित्र गेंहू या उसके आटा से कुल दो किलो 47 ग्राम वजन के बराबर कीमत 75 रू. अदा की जाए। जौ या उसके आटा से 4 किलो 94 ग्राम वजन के बराबर कीमत 115 रू., खजूर 4 किलो 94 ग्राम वजन के बराबर कीमत 615 रू. तथा मुनक्का (किशमिश) वजन के बराबर कीमत 1150 रू. देकर सदकाए फित्र अदा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेहतर यह है जिन्हें अल्लाह तआला ने खूब नवाजा है। वो खजूर या मुनक्का की कीमत सदकाए फित्र में अदा करें। कम से कम 100 रू. जरूर दें। जो इससे ज्यादा दे उसके लिए ज्यादा सवाब है।
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