सीता हरण, मारीच और जटायु मोक्ष की कथा सुने श्रोता, शबरी को मिले राम
गौशाला मैदान में हो रही भव्य श्रीरामकथा, उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
धमतरी. पूज्या प्राची देवी ने कहा कि सच्चे मन से किये गए श्रवण, कीर्तन और स्मरण से तो भगवान भी अपने आप को भक्त से मिलने से नहीं रोक सकते. राष्ट्रीय गौशाला मैदान में आयोजित 9 दिवसीय रामकथा के आठवें दिन पूज्या प्राची देवी ने सीता हरण, मारीच और जटायु मोक्ष, शबरी को भगवान श्री राम मिले की कथा का वाचन किया.
कथा सुनने हजारों की संख्या में श्रद्धालु कथा पंडाल में डटे रहे.आयोजक परिवार माधव भैय्या जी राव पवार, तरुणा पवार, रीतुराज पवार, राहुल पवार ने कथा आरंभ से पहले रामचरितमानस का पूजन किया. गौशाला मैदान में आयोजित श्रीरामकथा का वाचन करते हुए पूज्या प्राची देवी ने कहा कि तुलसीदासकृत रामचरित मानस के तीसरे अध्याय अरण्य कांड में भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण अत्रि मुनि के आश्रम में आते हैं. मां अनसुईया मां सीता को पतिव्रता धर्म निभाने की सीख देती हैं. इस अध्याय में भगवान राम ने अनेक राक्षसों का वध किया और संतों की पीड़ा हरी. इसी अध्याय में शूर्पणखा और मारीच प्रसंग के बाद मां सीता के हरण, जटायु का प्रसंग आता है. इसके बाद रामजी मां शबरी की कुटिया जाते हैं और नवधा भक्ति का उपदेश देते हैं. अरण्यकांड में 46 छंद, दोहे और सोरठ समाहित हैं.प्राची देवी ने कथा में आगे कहा कि वन में मां अनसुईया ने सीता मां को पतिव्रता धर्म निभाने की सीख दी. कहा, सुख-दुख में पति का साथ देना. मां सीता ने अनुसुईया के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद भी लिया. रावण जब मां सीता का हरण करके आकाश मार्ग से लंका ले जा रहा था तो जटायु ने रोकने के लिए रावण से युद्ध किया. जटायु का सौभाग्य देखिए, राम की गोद में प्राण त्यागे थे. कथा में तुलसीदास जी ने लिखा- भगवान प्रेम के वशीभूत हैं. इसी प्रेम में शबरी के जूठे बेर भी खाए. इसके बाद मां शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश भी दिया. शबरी ने राम को पा लिया. अरण्यकांड में भगवान राम शबरी की कुटिया में गए. बताते हैं कि शबरी को उनके गुरु ने कहा था, आप भक्ति करना, भगवान आपसे मिलने आपके पास आएंगे. शबरी सालों-साल कुटिया के झाड़ू लगा कांटे चुनती थी, यही सोचकर की मेरे राम आएंगे तो उनके चुभ न जाएं. शबरी के सरल प्रेम में भगवान ने शबरी के जूठे बेर भी खाए थे. जो संत शबरी के ऐसा करने पर हंसते थे, भगवान उन्हीं से शबरी का पता पूछकर शबरी की कुटिया पहुंचे थे. यानी भगवान प्रेम के भूखे हैं, वे जात-पांत नहीं जानते.भक्ति का महत्व भी समझाया.
कथा सुनने आनंद पवार, राजेश शर्मा, देवेन्द्र मिश्रा, मनीष गोठी, विक्की छाबड़ा, रोहित साहू, आदित्य शिंदे, मल्हार राव पवार, अर्चना चौबे, शरद चौबे, विजय अग्रवाल, दीपक लोंढे, अशोक कावड़े, संजय रणसिंग, बृजेश जगताप, विनोद रणसिंग, मोहन साहू, राजा जाचक, बलवंत राव शिन्दे, दीपक पवार, धीरेंद्र पवार, जयंत गायकवाड़, लालचंद राव भोषले, राणा जी रणसिंग, दीप शर्मा, संजय रकटाते, महेंद्र खंडेलवाल, अरविंदर मुंडी, कविन्द्र जैन, शशि पवार, धनीराम सोनकर, मुकेश जैन, भूपेश शाह, विजय अग्रवाल, अशोक राखेचा सहित बड़ी समस्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही.