धमतरी को जिला बने हुए 26 साल, विकास के मामले में अब तक पिछड़ा है जिला
धमतरी को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना रह गया सपना ही
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों में विकास के लिए जज्बे की कमी और शहर की उपेक्षा से पिछड़ा विकास
गोकुलनगर, ट्रांसपोर्ट नगर, हाईटेक बस स्टैण्ड, पार्किंग स्पेस की कमी, मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज सहित कई मांगे नहीं हो पाई अब तक पूरी
धमतरी। 6 जुलाई 1998 धमतरी जिला बना था। आज धमतरी को जिला बने 26 साल पूरे हो गये। इतने सालों बाद भी धमतरी विकास में पिछड़ा हुआ है। धमतरी शहर का विकास धीमा हुआ और यहां अब तक विकास ने रफ्तार नहीं पकड़ी है नतीजन अन्य शहरो की तुलना में धमतरी विकास के मामले में पिछड़ता जा रहा है। सालों पहले धमतरी शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का ख्वाब नेताओं ने दिखाया था, लेकिन यह ख्वाब, ख्वाब ही रह गया है।
धमतरी के विकास व स्मार्ट सिटी बनाने के मुद्दे पर शहरवासी चिढ़ जाते है और कहते है कि स्मार्ट सिटी को छोडिय़ें यहां मूलभूत सुविधायें ही बेहतर तरीके से उपलब्ध हो जाये यहीं बहुत है। स्मार्ट सिटी के लिए शहर की बड़ी मांगो को पूरा करना होगा। अरबों की स्वीकृति, शहर का दायरा भी विकास के प्रोजेक्ट हेतु बढ़ाना होगा। रास्तों का चौड़ीकरण कर व्यापार और बाजार को व्यवस्थित करना होगा। लेकिन धमतरी में यह सब धरातल पर संभव नजर नहीं आता। सालों से धमतरी की जनता गोकुलनगर बसाने की मांग कर रही है ताकि आवारा मवेशियों व उनकी गंदगी से राहत मिले, आवागमन सुगम हो दुर्घटना घटे लेकिन आज तक इसका निर्णय नहीं हो पाया है इसी प्रकार शहर की सड़कों पर बड़े-बड़े वाहनों को एक स्थान पर व्यवस्थित रखने ट्रांसपोर्ट नगर की जरुरत है। हाईटेक बस स्टैण्ड तो मानों जुमला बनकर रह गया है। भूमि चिन्हाकंन सालों पहले हो गया है। हर साल निगम बजट में राशि का प्रावधान होता है। लेकिन अब तक स्वीकृति का इंतजार है। मेडिकल इंजीनियरिंग कॉलेज की मांग दशकों से हो रही है। स्वास्थ्य सुविधायें बढ़ाने की दिशा में कई कार्य बाकी है। डाक्टरों की कमी भी मरीजों को खल रही है।
संकरी सड़के और पार्किंग स्पेस कमी से बदहाल हुआ ट्रैफिक
जिला बनने के 26 साल बाद भी शहर की यातायात व्यवस्था साल दर साल बिगड़ते जा रही है। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए यहां की यातायात व्यवस्था में सुधार जरुरी है। धमतरी शहर के भीतर की यातायात व्यवस्था नासूर बन चुका है। शहर के भीतर मुख्य मार्गो में पल-पल जाम लगना आम बात है। विशेषकर चमेली चौक से बालक चौक तक। मठमंदिर चौक और गोलबाजार के पास तो यातायात सबसे ज्यादा बदहाल रहता है। इसका मुख्य कारण सड़को का संकरा होना, पार्किंग की जगह न होना, पसरा बाहर सड़क तक लगाना, आबादी व वाहनों की संख्या बढऩा है। लेकिन यातायात सुविधाओं का विस्तार न हो पाना है।
निगम का एक और कार्यकाल है समाप्ति की ओर
बता दे कि धमतरी के नगरीय निकाय का इतिहास 140 वर्षो से ज्यादा पुराना है। धमतरी नगर निगम बनने के बाद भी विकास में तेजी से आगे नहीं बढ़ पाया है। इस साल के अंत तक नगरीय निकाय चुनाव होने है। ऐसे में अब कुछ महीने ही इस कार्यकाल को शेष रह गये है। यह कह सकते है कि यह कार्यकाल भी बिना किसी बड़ी उपलब्धि के निकलने को है। चाहे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की, सिर्फ फंड की मांग करते ही साढ़े चार साल बीत गये। अब अंतिम समय में शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कुछ महीने में अरबों का काम चमत्कार के सामान होगा। या कहे कि अंसभव ही है। वैसे जब निगम में पहली बार कांग्रेस को सत्ता मिली और प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार रही थी तो उम्मीद की जा रही थी कि इस पहले मौके को भुनाते हुए विकास के नये आयाम स्थापित किये जाएंगे। लेकिन इन उम्मीदों पर भी पानी फिर गया।
इन मांगो के लिए किया जा रहा प्रयास
महापौर विजय देवांगन द्वारा हाल ही में उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव से मुलाकात कर शहरहित की विभिन्न मांगों का ज्ञापन सौपा जिसमें गोकुल नगर विकास कार्य 542.22लाख, मल्टीलेवल पार्किंग 1004.24लाख, हाईटेक बस स्टैंड निर्माण कार्य1400 लाख,स्विमिंग पूल निर्माण कार्य 360.84 लाख, ट्रांसपोर्ट नगर निर्माण कार्य 1534.23 लाख ,गोल बाजार का पूर्ण निर्माण 1470.23लाख, सहित विभिन्न शहर के मांगों सहित रोड नाली बिल्डिंग के मांगों को रखा गया।