शिव महापुराण कथा स्थल का पता बताने वाले को भी बैकुंठ मिलता है – पं. प्रदीप मिश्रा
कुकरेल स्थित ग्राम कांटा कुर्रीडीह में शिव महापुराण कथा के प्रथम दिन उमड़ी लाखो की भीड़
धमतरी। रुद्रेश्वर महादेव संघ समिति द्वारा पांच दिवसीय शिव महापुराण कथा का आयोजन कुकरेल स्थित ग्राम कांटा कुर्रीडीह में किया गया है। इसके पहले दिन ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा सिहोर वाले ने कहा कि मानव को सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए। क्योकि अच्छे कर्म करने वालो को सदैव सफलता मिलती है। शिव महापुराण कथा का अपना अलग ही महत्व है। यही वजह है कि शिव महापुराण कथा स्थल का पता बताने वाले को भी बैकुंठ मिलता है। छत्तीसगढ़ की गंगा कहलाने वाले महानदी के तट पर शिव महापुराण कथा हो रही है। जो कि बड़े ही सौभाग्य की बात है। क्योकि जिस भूमि में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के रज पड़े हो वह कोई साधारण भूमि नहीं हो सकती। और एसे पवित्र भूमि पर शिव महापुराण कथा का आयोजन एवं कथा श्रवण करना बेहद पुण्यकारी है। यही वजह है कि सभी पंडाल भक्तों से खचाखच भरा हुआ नजर आया। विश्व विख्यात कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने पितृ पक्ष का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग यह कहते है कि पितृपक्ष में कोई शुभ काम नही करना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं है पितृपक्ष में नया काम किया जा सकता है। क्योंकि पितृपक्ष से बड़ा कोई पक्ष नही है। अन्य पक्षों में तो केवल देवता का आशीर्वाद मिलता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में तो पितरों का विशेष आशीर्वाद मिलता है। उन्होंने पितरों की तीन बेटियों का जिक्र करते हुए कहा कि पितृपक्ष में गौमाता को रोटी खिलाकर पानी पिलाइए। पितृ दोष, सर्पदोष अगर है तो शिवलिंग एवं अशोक सुंदरी में एक-एक दाना चावल तथा एक लोटा जल अर्पण करने से पितृदोष शांत हो जाता है। साथ ही जिसे गोत्र नही मालूम है, उन्हें शिव का नाम लेना चाहिए। इस अवसर पर समिति संरक्षक दीपक लखोटिया, अध्यक्ष श्री देवांगन, दीपक ठाकुर, जिपं सदस्य खूबलाल ध्रुव, हरीश सिन्हा, दिलीप बडज़ात्या, रामचंद देवांगन, बसंत अग्रवाल, राजेश साहू, सूरज शर्मा अन्य भक्त मौजूद थे।
7 साल बाद मिला संतान सुख, एक लोटा जल की कृपा से मिली नौकरी
पंडित प्रदीप मिश्रा ने भक्तों द्वारा भेजे गये पत्रो को पढ़कर शिव की महिमा सुनाई। जिसमें रामसागर पारा की सरिता मिश्रा को सात साल तक संतान सुख नही मिला। उन्होंने सफेद आकड़े की जड़ और शिवजी की पूजा की। तो उन्हें आठवे साल में संतान की प्राप्ति हुई। इसी तरह नरहरपुर से आई महिला अनिता ने महाराज जी के पास पत्र भेजा। जिसमें जिक्र है उनके दो बेटे है जिसमें एक बेटा नौकरी के लिए तो दूसरा नीट की तैयारी पांच साल से कर रहा था। लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी। तब किसी ने उन्हें शिवलिंग में एक लोटा जल एवं बेलपत्र चढ़ाने कहा। इस साल उनके बड़े बेटे की रेलवे में नौकरी लग गई। दूसरे छोटे बेटे का चयन मेडिकल कालेज में हो गया। इसी तरह कथावाचक ने अन्य लोगो के पत्र पढ़कर शिवभक्ति का लाभ बताया।