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नालियो के गंदे पानी से तालाब हो रहे प्रदूषित

शहर के कई तालाबों में जा नालियों का पानी, कुछ डेयरियों का पानी भी पहुंच रहा तालाबों में

शहर के अधिकांश तालाब में पानी है गंदा, इसलिए निस्तारी हेतु उपयोग हो रहा बंद
धमतरी। शहर के तालाबों का अस्तित्व खतरे में है। कई तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ गये तो कई तालाब पानी की कमी से अपना अस्तित्व खो रहे है। लेकिन जिन तालाबो में पानी पर्याप्त है वहां भी उपयोग के लायक पानी नहीं रह गया है। इसका मुख्य कारण है तालाबों का पानी प्रदूषित होना। बता दे कि शहर के कई तालाब अच्छी बारिश के कारण लबालब हो चुके है। ऐसे में यह निस्तारी समस्या से राहत दे सकती है। लेकिन पानी उपयोग लायक ही नहीं बचा है। तालाबों का पानी गहरा हरा रंग का हो चुका है। पानी में मोटा पन भी है। कई तालाबों में सालों से नालियों का गंदा पानी पहुंचता है कुछ तालाबों में तो शौचालयों का पानी भी जाता है। कुछ ऐसे है जहां नालियों के माध्यम से डेयरियों का गंदा पानी तालाबो में पहुंचता है। इससे तालाब लगातार प्रदूषित हो रहे है। अब स्थिति ऐसी हो गई है। कई तालाब में लोग न तो नहाते है और न कपड़े धोते है। कुछ तालाब जानवरों के स्नान के लिये ही रह गये है। बता दे कि शहर के तालाबों को मछली पालन हेतु लीज पर दिया गया है। जहां कुछ लीज धारकों द्वारा तालाब में गोबर भी मछलियों के भोजन हेतु डाला जाता है। वे अपने फायदे के चक्कर में तालाब को गंदा करने से पीछे भी नहीं हटते। ऐसे में निगम द्वारा गंभीरता पूर्वक इस ओर ध्यान दिया जाये और तालाबों को प्रदूषित होने से बचाये तो सरोवर धरोहर को सार्थक किया जा सकता है।


तालाबो में डाल रहे है कचरा व पूजन साम्रगी
बता दे कि तालाब किनारे रहने वाले ज्यादातर लोग कचरा तालाबो के आसपास या फिर तालाब में ही फेंक देते है। जिससे तालाब प्रदूषित होता है। इससे अतिरिक्त लोग घरो मंदिरो के पूजन साम्रगी को तालाबों में विसर्जित करते है। लोग आसपास के तालाबो में ही डाल देते है। इससे भी पानी कचरे और अन्य साम्रगियों से अटा रहता है। अधिकांश तालाब किनारे शराब और गांजा जैसे नशापान होते है। इनका कचरा भी वे तालाबो में ही फेंकते है। इनसे भी तालाब प्रदूषित हो रहे है।
चर्म रोग होने का खतरा
लोगों ने बताया कि तालाबों का पानी सालों से गंदा हो चुका है। इस पानी में स्नान करने से त्वचा संबंधित कई प्रकार की समस्याएं आते है। जिनमें बदबू और खुजली सबसे प्रमुख है। इसलिए इसका उपयोग काफी कम हो गया है। वैसे भी प्रदूषित पानी के लगातार उपयोग से खुजली, फोड़े, फुंसी, जलन, त्वचा का लाल होना पानी का झडऩा, आंखो में तकलीफ आदि समस्या भी आती है। स्थिति ऐसी है कि अब शोक कार्यक्रम में लोग तालाब तो पहुंचते है लेकिन औपचारिकता हेतु स्नान के बजाय शरीर पर पानी के बूंदे छिड़क कर लौट आते है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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