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हमें अपनी विरासत और पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली पर गर्व होना चाहिए-जिपं अध्यक्ष अरुण सार्वा

ऋषि पंचमी पर्व पर भीमा कोटेश्वर शिवधाम में हुआ विशेष आयोजन,वन औषधियों और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर दिया गया जोर


धमतरी। ऋषि पंचमी के पावन पर्व पर श्री भीमा कोटेश्वर शिवधाम, कोटाभर्री में एक भव्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सार्वा, उपाध्यक्ष गौकरण साहू, वन सभापति एवं जिला पंचायत सदस्य अजय ध्रुव, सिहावा विधायक श्रीमती अंबिका मरकाम, नगरी नगर पंचायत अध्यक्ष महेश गोटा, सिरसिदा के सरपंच नरसिंग मरकाम, प्रदेश वैद्यराज संघ से दशरथ नेताम, भीमा कोटेश्वर समिति अध्यक्ष मुकेश बघेल, मंदिर के पुजारी सत्यनारायण बाबा, भाजपा युवा नेता हनी कश्यप, रवि भट्ट एवं बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे। विकास मरकाम का संबोधन मे छत्तीसगढ़ वन औषधियों का राज्य है। यहाँ की जल, जंगल और जमीन ने ऋषि-मुनियों को जीवन जीने का आधार दिया है। उन्होंने वनौषधियों से जीवन यापन किया और उपचार किया। इसी कारण इसे ह्यछत्तीसगढ़ महतारीö कहा जाता है।अरुण सार्वा ने कहा कि प्राचीन समय में ऋषि-मुनि औषधियों से ही बड़ी-बड़ी बीमारियों का उपचार किया करते थे। आज भी यह पारंपरिक पद्धतियाँ प्रभावशाली सिद्ध हो रही हैं। हमें अपनी विरासत और पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली पर गर्व होना चाहिए.इस आयोजन में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ पारंपरिक ज्ञान, औषधीय पौधों के महत्व और स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण पर विशेष रूप से बल दिया गया। ग्रामीणजन की सहभागिता ने इस आयोजन को और भी जीवंत बना दिया।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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