सालों से करोड़ो का है वनोपज कारोबार फिर भी जिले में नहीं लग पाया प्रोसेसिंग उद्योग
बिचौलियों द्वारा काफी कम दाम में खरीदा जाता है कीमती वनोपज
धमतरी । धमतरी जिला प्राकृतिक संपदाओं से सम्पन्न है। यहां पेड़ पौधे घने जंगल अनेक प्रकार की वनस्पति जड़ी बूटियां मिलती है। इन्हें जंगलो में जाकर इक्कठा कर ग्रामीणों द्वारा बिचौलियों को बेचा जाता है। लेकिन बाजार मूल्य व मांग के अनुसार उन्हें कीमत नहीं मिल पाती है। इसका बड़ा कारण है उक्त वनोपज का स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग युनिट न होना। ऐसे में वन्य क्षेत्रो में रहने वाले भोले भाले अंजान संग्राहक अपने वनोपज को बाहर बेच नहीं पाते है। बता दे कि धमतरी जिले में हर साल करोड़ो का वनोपज कारोबार होता है। यहां हर्रा, बेहड़ा, आवला, अर्जुन, साल, गोदला, तिखुर, सिंगाड़ा, महुआ, तेंदुपत्ता, अर्जुन छाल, लकड़ी बीजा, सागौन, बबूल आदि की इमारती लकड़ी के साथ ही कई प्रकार की जड़ी बूटियां का उत्पादन होता है। इन्हें एकत्रित करने वन्य क्षेत्रो में रहने वाले अपना जान जोखिम में डालकर कड़ी मेहनत करते है। जबकि कुछ स्वयं से इनका उत्पादन करते है। इसके बाद भी इससे संबधित प्रोसेसिंग युनिट जिले में न लग पाना दुर्भाग्य की बात है। जिसके कारण यहां का कच्चा माल अन्य प्रदेशो में प्रोसेसिंग के लिए भेजना पड़ता है। प्रोसेसिंग युनिट से रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हो सकते है। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों व जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया. प्रोसेसिंग युनिट नहीं होने का कारण बिचौलियों द्वारा औने पौने दाम पर कीमती वनोपज को खरीदा जाता है। और यहीं जड़ी-बूटी, वनोपज को कई गुणा ज्यादा दाम में बेचा जाता है। बता दे कि श्यामतराई में जिले के उद्योग धंधे स्थापित करने जगह आरक्षित किया गया है। लेकिन अब तक प्रोसेसिंग युनिट के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाया है। धमतरी जिले में राईस मिल उद्योग के बाद वनोपज दूसरा बड़ा उद्योग बन सकता है। लेकिन इस दिशा में ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।
सभी सुविधा व संभावनाएं होने के बाद भी नहीं हो पाया विकास
धमतरी जिले में विकास की आपार संभावनाएं है। बाउजूद इसके यहां विकास उम्मीद के अनुरुप नहीं हो पाया है। धमतरी राजधानी रायपुर से लगा हुआ जिला है। राजधानी और बस्तर को जोड़ता है। यहां पर्याप्त पानी और वन है। जिला 50 प्रतिशत से अधिक वनो से अच्छादित है। इसलिए यहां वनोपज प्रोसेसिंग युनिट सहित अन्य उद्योग स्थापित किये जा सकते है। लेकिन जिला पिछड़ा हुआ ही है। इसलिए रोजगार के आभाव में वनाचंल क्षेत्र के युवा अन्य प्रदेशो में भी मजदूरी आदि करने जाने मजबूर हो जाते है।