मानसिक दिव्यांग बच्चों ने हिंदी दिवस में लिखा सुलेख, किया कविता पाठ
सार्थक स्कूल के बच्चों ने पोला तिहार मनाया, खाया मीठा चीला
धमतरी। सार्थक स्कूल में हिंदी दिवस पर विशेष बच्चे, जो लिखने योग्य अथवा अपना परिचय बताने योग्य हो चुके हैं, उन 15 बच्चों ने सुलेख के माध्यम से स्वच्छ, सुंदर और स्पष्ट तरीके से हिंदी शब्दों को यथासंभव जमाकर लिखा,एवं छोटी छोटी कविताएं सुनाकर हिंदी भाषा के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया।श्वेता मसीह ने कहा आत्मविश्वास के साथ पढऩा है, पढ़ाना है, सबको सीखना है ,हिंदी भाषा को सबसे आगे बढ़ाना है। कविता सुनाई।
इसी तरह अन्य बच्चो, देवश्री,मनीषा, हर्षिता ,सरिता,प्रीति, मोनिका, मनीष, यज्ञदत्त, ईशु, लिकेश, निमेश, कुणाल ने हिन्दी के स्लोगन बोलकर सुनाए और हिंदी दिवस की शुभकामनाएं बांटी। साथ ही बच्चों ने आज पोला तिहार का भी आनंद लिया।संगीत एवं योग प्रशिक्षक सुश्री देविका दीवान के मार्गदर्शन में सभी बच्चों ने मिट्टी के खिलौने सजाकर, छत्तीसगढ़ी पारंपरिक तरीके से पूजा अर्चना कर, नंदिया बैला को, मीठा चीला का भोग लगाया।
बच्चों ने चुकी पोरा खेलते हुए सांकेतिक रूप से चाय और खाना बनाया। और उसके बाद नृत्य प्रशिक्षक श्रीमती स्वीटी सोनी के निर्देशन में छत्तीसगढ़ी गीत आ गे तीजा पोला के तिहार बहिनी निक लागे पर नृत्य कर अपनी खुशी जाहिर की। बच्चों की उमंग देखकर प्रशिक्षकगण भी झूम उठे और बच्चों के साथ इस नृत्य का आनंद लिया। इस अवसर पर सार्थक की अध्यक्ष डॉ. सरिता दोशी ने बताया कि, छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक त्यौहार पोला को बहुत करीब से जानने के कारण, इसकी तैयारी और इसे मनाने के लिए बच्चों में बढ़चढ़ कर उल्लास होता है।
सार्थक की सचिव श्रीमति स्नेहा राठौड़, सुनैना गोड़े एवं पालक सीमा, शकुंतला, मीनाबाई आदि ने बच्चों के उत्साहवर्धन में सहयोग किया।