धमतरी विस में जातिगत समीकरण से चुनाव परिणाम पर कभी नहीं पड़ा फर्क
साहू बाहुल्य वाले विस में हारे कई साहू उम्मीदवार, 5 प्रतिशत से कम आबादी वाले समाज के नेताओं ने जीते कई चुनाव
धमतरी। धमतरी विधानसभा चुनाव में कभी भी जातिगत समीकरण इस प्रकार हावी नहीं रहा है की चुनाव परिणाम एक तरफा हो जाए या पूरी तरह बदल जाए इससे स्पष्ट होता है कि पार्टी व मतदाताओं द्वारा जाति के आधार पर कम और प्रत्याशी व पार्टी चिन्ह के आधार पर मतदान करती है। बता दे कि प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होंगे चुनाव की तैयारी में राजनीतिक पार्टियों और उनके नेता जुटे हुए हैं। नेता टिकट की मांग कर रहे हैं लेकिन धमतरी विधानसभा में भाजपा या कांग्रेस किसी भी पार्टी ने अब तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। हर बार जब चुनाव नजदीक आता है और टिकट की मांग होती है तब एक मुद्दा जाति का समीकरण होता है जिस समाज के मतदाता क्षेत्र में ज्यादा होते हैं उसे समाज के दावेदार या प्रत्याशी को एडवांटेज होने की बात कही जाती है लेकिन चुनाव परिणाम में जातिगत समीकरण का अब तक नजर नहीं आया है। धमतरी विधानसभा में सबसे ज्यादा साहू समाज की जनसंख्या है सूत्रों व चर्चाओं के अनुसार क्षेत्र में लगभग 30 प्रतिशत के आसपास साहू मतदाता हैं ऐसे में सालों पहले से पार्टिया साहू उम्मीदवारो पर विश्वास जताते रही है लेकिन इसके बाद भी उन्हें कई बार हार का सामना करना पड़ा। ज्ञात हो कि वर्ष 1985 में भाजपा ने पहली बार जातिगत समीकरण का फार्मूला अपनाते हुए कृपाराम साहू को मैदान में उतारा था. कृपाराम साहू को 24464 वोट मिले थे। वही कांग्रेस उम्मीदवार जयाबेन दोषी को 31374 वोट मिले इस प्रकार 6910 वोटो से जयाबेन विजय रही। भाजपा ने फिर कृपाराम साहू पर विश्वास जताया और टिकट दिया कृपाराम साहू ने इस बार 42600 मत पाकर विपक्षी केसरीमल लुंकड़ जिन्हें 40043 मत मिले. 2617 वोट से हराया. जीत का अंतर मामूली ही रहा इससे स्पष्ट है कि सामाजिक वोट एकतरफा नहीं पड़े। साल 2008 में भाजपा ने विपिन साहू को उम्मीदवार बनाया. उम्मीद की जा रही थी कि साहू वोट एकतरफा विपिन को मिल सकता है लेकिन विपिन साहू रिकॉर्ड 27007 मत से चुनाव हार गए। यहां यह बताना भी लाजमी होगा कि स्व. केसरीमल लुंकड़ जैन समाज, स्व. जयाबेन दोषी, हर्षद मेहता गुजराती समाज से हैं और गुरुमुख सिंह होरा सिख समाज से हैं जिनकी धमतरी विधानसभा में जनसंख्या 5 प्रतिशत से भी कम है। बावजूद इसके उक्त नेताओं ने अब तक कई बार जीत दर्ज की है। हर्षद मेहता ने 1998 में कृपाराम साहू को व गुरुमुख सिंह होरा ने 2008 में विपिन साहू को बहुमतो से हराया है. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि धमतरी में जातिगत समीकरण का चुनाव परिणाम में विशेष फर्क नहीं पड़ता है.
पार्टी, प्रत्याशी और मुद्दे हावी है जातीगत समीकरण पर
पुराने रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि धमतरी की जनता जागरुक है और सिर्फ समाज स्तर की राजनीति से परे हैं यहां समाज के प्रत्याशी से ज्यादा मतदाताओं के लिए अन्य मुद्दे महत्वपूर्ण रहे हैं पुराने परिणाम के अनुसार मतदाताओं के लिए जाति से ज्यादा पार्टी प्रत्याशी महत्व रखते हैं। हालांकि की टिकट वितरण में एक बार जरूर जातिगत समीकरण पर चर्चा हो रही है।