खेतों में पराली जलाने पर लग सकता है जुर्माना
धमतरी, खरीफ धान फसल की कटाई पूरी होने को है। धान फसल कटाई के बाद खेत में बचे अवशेषों को जलाने की घटनाएं घटित होती रहती है, जिससे वातावरण में जहरीली गैस जैसे-गीथेन, कार्बनमोनोऑक्साईड, नाइट्रॉक्साईड के फैलने से प्रदूषण होता है, जो मानव जीवन के साथ-साथ पशु पक्षियों के लिए हानिकारक है। साथ ही फसल अवशेष जलाने से मृदा में उपलब्ध सूक्ष्म जीव के नष्ट हो जाने से मृदा की उर्वरता क्षमता कम हो जाती है और मित्र जीव जैसे-केंचुए, मकड़ी इत्यादि भी नष्ट हो जाते है। उप संचालक कृषि ने बताया कि फसल अवशेष जलाने संबंधी प्रकरण शासन के संज्ञान में आता है, तो अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत 2 एकड़ कृषि भूमि धारक किसानों पर 2 हजार 500 रूपये, 2 से 5 एकड़ तक भूमिधारक किसानों पर 5 हजार रूपये जुर्माना तथा 5 एकड़ से अधिक भूमिधारक किसानों पर 15 हजार रूपये जुर्माना एवं सजा का प्रावधान है। उप संचालक ने किसानों से कहा है कि वे फसल अवशेष को नहीं जलायें, बल्कि उचित प्रबंधन करें। इसके लिए उन्होंने सुझाव भी दिया है।जारी सुझाव अनुसार फसल कटाई के बाद खेत में पड़े हुए फसल अवशेष के साथ ही जुताई कर हल्की सिचाई पानी का छिडकाव करने के बाद ट्राइकोडर्मा का छिडकाव करने से फसल कटाई के उपरांत खेत में पड़े हुए अवशेष के साथ ही गहरी जुताई कर पानी भरने से फसल अवशेष खाद में परिवर्तित हो जाते है, जिससे अगली फसल के लिये मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व प्राप्त होंगे। भूमि को फसल अवशेष से प्राप्त होने वाले कार्बनिक तत्व जो कि मृदा में मिलकर खाद के रूप मंे परिवर्तित होकर फसलों को मिलती है, जिससे मृदा संगठन एवं संरचना मंे सुधार के साथ ही भूमि की जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है। धान के पैरे को यूरिया से उपचार कर पशुओं केे सुपाच्य एवं पौष्टिक चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। उप संचालक ने किसान भाईयों से अपील की है कि पराली न जलायें एवं पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहयोग प्रदान करें।