संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी मुनिराज को समाजजनों ने दी भावपूर्ण विनयांजलि
आचार्य श्री का समाधी पूर्वक ब्रम्हलीन होना संपूर्ण विश्व के लिए अपूरणीय क्षति है - विजय गोलछा
श्रद्धेय गुरुवर ने अपने सम्पूर्ण जीवन के हर अध्याय को अद्भूत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए किया समर्पित – दीपक जैन
धमतरी। संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी मुनिराज के समाधि पूर्वक ब्रम्हलीन होने पर सम्पूर्ण जैन समाज द्वारा उन्हें भावपूर्ण विनयांजलि दी जा रही है। इस कड़ी में जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष विजय गोलछा ने कहा कि श्रद्धेय गुरुवर आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का समाधी पूर्वक ब्रम्हलीन होना संपूर्ण विश्व के लिए अपूरणीय क्षति है। विश्व कल्याण के लिए जैन गुरुओं का समर्पण अविस्मरणीय है। गुरुजन मनुष्यो के कष्टो का हरण करने वाले उन्हें अपने ईष्ट से मिलाने वाले उनके अभीष्ट की पूर्ति करने वाले तीर्थ स्वरुप होते है। आचार्य श्री विद्यासागर जी की शिक्षा सदैव हम सभी को मानव कल्याण व प्राणी सेवा की प्रेरणा देती है। उनका तपस्यापूर्ण जीवन हम सभी का सदैव पथ प्रदर्शक बना रहेगा। आचार्य श्री ने अपने इंद्रियों को जीत लिया था। हमारी उनके प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि तभी होगी जब हम अपने अंदर के बुराईयों को त्यागे। उनकी त्याग, तपस्या, साधना सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान की रोशनी प्रकाशित करता रहेगा। उनके चरणो में कोटि कोटि नमन। श्री दिगम्बर जैन पंचायत अध्यक्ष दीपक जैन ने कहा कि भारत वर्ष की पावन धरा पर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जैसी महान विभूति ने जन्म लिया। उन्होने अपने सम्पूर्ण जीवन के हर अध्याय को अद्भूत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए समर्पित किया। उनका सम्यक दर्शन, ज्ञान और चरित्रमय जीवन, आत्म बोध के साथ साथ लोकबोध के लिए था। ऐसे महान संत के दर्शन से हमारे जीवन का पाप नष्ट हो जाते थे। जनकल्याण के लिए ऐसे संतो का जन्म होता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी न सिर्फ मानव बल्कि प्रत्येक प्राणी के कल्याण की प्रेरणा हमे दी। हिंसा से ग्रस्त इस दुनिया में हमे अंहिसा की प्ररेणा श्रद्धेय गुरुवर ने दी। उनका ज्ञान अनंत काल तक सम्पूर्ण जीवो का कल्याण करता रहेगा। ऐसे महान आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की भावपूर्ण श्रद्धाजंलि। संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी मुनिराज को समाजजनों ने भावपूर्ण विनयांजलि दी है। जिनमें प्रमुख रुप से रतनचंद सांखला, रमन लोढ़ा, निर्मल बरडिय़ा, अजय जैन, सुनील जैन, अनिल जैन, राजेश जैन, मनीष जैन, अर्पित जैन, अतिशय जैन, अरिहंत जैन, अमित जैन, आलोक राखेचा, बसंत ओस्तवाल, नेमीचंद छाजेड़, चैनसुख पारख, जंयती लाल लुकंड़, राजेन्द्र लुंकड़, प्रकाश नाहर, सतीश नाहर, लीलम जैन, शीतल सांखला, दीपक चोपड़ा, कमल बोहरा, आकाश गोलछा, नवीन सांखला, नीरज नाहर, दिलीप बडज़ात्या, ज्ञानचंद लुनावत, रानु डागा, आशीष जैन, नरेश राखेचा, संजय जैन, आशीष बंगानी, दिनेश जैन, पंकज कांकरिया, राजेश गोलछा, विपुल राखेचा, नीलेश नाहर, नीलेश लुनिया, दीपक बाफना, जयंती गोलछा, मनीष बरडिय़ा, गुड्डु कवाड़ आदि शामिल है।