100 से अधिक स्थानों पर होगा होलिका दहन
शांतिपूर्ण पर्व सम्पन्न कराने जिला पुलिस प्रशासन ने की तैयारी
धमतरी। आज शाम होलिका दहन होगा और कल होली खेली जायेगी। शहर के 40 वार्डो में लगभग 100 से अधिक स्थानों पर होलिका दहन होगा। बता दे कि होलिका दहन के लिए युवाओं द्वारा आपसी सहयोग व चदां कर पैसों की व्यवस्था की जाती है। साथ ही कई दिन पूर्व से ही होलिका के लिए लकड़ी इक्कठा किया जा रहा है।
बता दे कि आज शाम शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन होगा। और रात से ही होली खेलने का दौर शुरु हो जायेगा। जो कि मंगलवार तक जारी रहेगा। होली पर्व शांति सौहाद्रता व भाईचारे का प्रतीक है। लेकिन शराबियों हुड़दंगियों असामाजिक तत्वों की हरकतों के कारण पर्व पर माहौल बिगडऩे की आशंका बनी रहती है। ऐसे में जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा पर्व को शांति सुरक्षा के सम्पन्न कराने तैयारियां की गई है।
कंडो से ही जलाए होली
होलिका दहन हमारी सनातन धर्म और परम्परा का प्रतीक है। पर्व पर अब आधुनिकता का रंग हावी हो गया है। बता दे कि शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन गोबर के कंडो से करना चाहिए। पुरातन काल से ही यही परम्परा चली आ रही है। अब कंडो का उपयोग काफी कम हो गया है। कुछ स्थानों पर सिर्फ लकड़ी पालीथीन आदि से भी होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन हवन व यज्ञ के समान होता है। इसके दहन से वातावरण दूषित नहीं होना चाहिए। बल्कि एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होना चाहिए। इसलिए शास्त्र सम्मत होलिका दहन में कंडो का ही प्रयोग करना चाहिए।
घटते जा रहा है हरवा माला महत्व व डिमांड
होली पर्व पर जितना महत्व रंगो का है उतना ही महत्व बुजुर्गो द्वारा हरवा माला का भी बताया गया है। हालांकि साल दर साल हरवा माला का महत्व व डिमांड अब घटते जा रहे है। चकाचौंद के दौर में पौराणिक परम्परा अब विलुप्त हो रही है। लेकिन जानकार लोग आज भी होली पर हरवा माला पहनते है। जानकारों की माने तो होली पर्व संबंधो में मिठास, गिलेशिकवे दूर करने का पर्व है। हरवा माला शक्कर से बना होता है। इसलिए इसमें भरपूर मिठाई होता है। यह संबंधो में मिठास का प्रतीक है। होली पर्व पर जब लोगों से गले मिलकर बधाई दी जाती है तो मुहमीठा कराने हरवा माला का उपयोग किया जाता है।