गर्मी पूरा का सीजन बाकी और गंगरेल में मात्र 7 टीएमसी उपयोगी पानी शेष
वर्तमान में 12 टीएमसी है जल भराव, 5 टीएमसी डेड स्टोरेज के बाद, निस्तारी, पेयजल, सिंचाई आदि के लिए बचा सिर्फ 7 टीएमसी पानी
रायपुर, धमतरी नगर निगम को पेयजल और बीएसपी को उद्योग के लिए देना होगा लगभग ढाई टीएमसी पानी
धमतरी । प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े बांध गंगरेल में इस साल गर्मी के मौसम में जल भराव काफी कम है। जिससे जल संकट की समस्या उत्पन्न हो सकती है। बता दे कि वर्तमान में प्रदेश की जीवनदायिनी माने जाने वाले गंगरेल बांध में लगभग 12 टीएमसी पानी ही बचा है। जबकि बांध की कुल क्षमता 32.150 टीएमसी है। उक्त जलभराव में से अंतिम लगभग 5 टीएमसी पानी उपयोग विहीन (डेड स्टोरेज) माना जाता है। इसलिए वर्तमान में बांध में लगभग 7 टीएमसी पानी ही उपयोगी है। इतने पानी में ही पूरा गर्मी का सीजन निकालना है। और आवश्यकता पडऩे पर खरीफ सीजन में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध करवाना है। अप्रैल, मई, जून और उसके बाद मानसून के आने तक लगभग तीन महीने तक बांध में पानी की आवक की कोई संभावना नहीं है। गंगरेल बांध में वर्तमान में लगभग 37 फीसदी ही पानी है। जबकि वर्ष 2022 की स्थिति में 70 प्रतिशत और 2023 की स्थिति में 64 प्रतिशत पानी गंगरेल बांध में भरा था। बता दे कि रविशंकर जलाशय परियोजना एक बहुउद्देशीय परियोजना है। जिसके तहत सिंचाई पर्यटन पेयजल, बीएसपी को पानी सप्लाई विद्युत निर्माण मस्त्याखेट आदि शामिल है। यह सब तभी बेहतर तरीके से संभव हो पाता है जब बांध में पर्याप्त पानी हो। इस बार बांध की हालत पतली है। शेष बचे मात्र 7 टीएमसी पानी में भी रायपुर, धमतरी नगर निगम को पेयजल के लिए और भिलाई स्टील प्लांट के उद्योग के लिए पानी देना अनिवार्य है। जिसमें लगभग ढाई टीएमसी पानी रिजर्व है।
सहायक बांधो की स्थिति भी अच्छी नहीं
बता दे कि गंगरेल बांध के सहायक बांध मुरुमसिल्ली व दुधावा बांध की स्थिति भी जल भराव के मामले में उतनी अच्छी नहीं है। गंगरेल व अन्य बांधो में वास्पीकरण के कारण भी कुछ मात्रा जल संग्रहण का स्तर घटता है। ऐसे में लिकिंग अर्थात मुरुमसिल्ली और दुधावा से पानी गंगरेल बांध लाने पर भी विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। अब वाटर मैनेजमेंट पर पूरी बात निर्भर है कि किस प्रकार सीमित पानी को सिंचाई निस्तारी, विद्युत, पेयजल और उद्योग के लिए उपयोग किया जा सकता है।