पुरानी अनफिट गाडिय़ां बढ़ा रही प्रदूषण का स्तर
भारी मात्रा में काला-सफेद धुआं छोड़ते दौड़ रही सैकड़ों वाहने
धमतरी । परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार सड़कों पर कोई भी ईंधन चलित वाहन तभी चल सकती है जब वाहन का फिटनेस सही है। प्रदूषण निर्धारित मात्रा से ज्यादा न फैलाया जाये, लेकिन जिले में इसका पालन नहीं होता नतीजन रोजाना सैकड़ो अनफिट वाहने जो कि भारी मात्रा में काला सफेद धुआं छोड़ते सड़को पर दौड़ते रहती है। बता दे कि कई ऐसे वाहने आज भी दौड़ रही है जो कि काफी पुरानी हो चुकी है। इन वाहनों में ज्यादातर ईधन के रुप में मिट्टी तेल की मिलावट वाली ईंधन का उपयोग किया जाता है। वहीं कुछ गाड़ी सालों से बिना प्रदूषण जांच के सड़को पर दौड़ती है। क्योंकि यह वाहने जांच में फिट ही नहीं पाई जाती है। ज्यादा मात्रा में काला सफेद धुआ वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है। धमतरी जिला में भी प्रदूषण का स्तर पिछले कुछ सालों में बढ़ा है। लेकिन खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंचा है। लेकिन इसी प्रकार लापरवाही बरती जाती रही तो आने वाले कुछ सालों में स्थिति गंभीर हो सकती है। दिल्ली सहित कई अन्य शहरो में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो चुका है। प्रदूषण के चलते लोगों की आयु घटने की आंशका भी वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्त की जा चुकी है। धमतरी में भी यातायात व आटीओ द्वारा वाहनों से फैलते प्रदूषण पर फोकस नहीं किया जाता। बल्कि अन्य नियमों के पालन पर ही ज्यादा जोर दिया जाता है। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण श्वास की बीमारी वाले मरीजों को सांस लेने दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। फेफड़ा आदि से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है।
प्रदूषण जांच केन्द्र में पसरा रहता है सन्नाटा
कुछ साल पहले राज्य सरकार द्वारा सभी ईंधन चलित वाहनों की फिटनेस जांच प्राथमिकता के आधार पर किया था जिसके चलते धड़ाधड़ कई प्रदूषण जांच केन्द्र खुला। केन्द्रो में वाहनों की जांच हेतु कतारे लग गई थी। पुलिस द्वारा भी सख्ती से हर वाहनों की जांच की गई। इसलिए सभी वाहनों की फिटनेस जांच हुई। लेकिन फिर जांच का आदेश ठण्डा पड़ गया। लोग पुन: लापरवाही व मनमानी पर उतारु हो गये। और पुन: जांच केन्द्रो में वाहन जांच काफी कम हो गई नतीजन अब केन्द्रो में सन्नाटा पसरा रहता है। कई जांच केन्द्र तो बंद भी हो गये है।
ई वाहनों की डिमांड से घटेगा प्रदूषण
देश भर सहित जिले में तेजी से ई वाहनों की डिमांड बढ़ी है। इलेक्ट्रानिक व्हीकल में ईंधन की लागत नहीं रहती। सिर्फ चार्जिंग से वाहन चलती है। इसलिए शहर में लगभग 500 से अधिक ई रिक्शा दौड़ रही है। वही टू व्हीलर ई व्हीकल की संख्या भी बढ़ती जा रही है। उक्त वाहनों से उपयोग से पर्यावरण प्रदूषण का स्तर घटाने में भविष्य में मद्द मिलेगी।