सृष्टि में सबसे अनमोल जल की उपेक्षा के परिणाम स्वरूप जल की उपलब्धता मे आ रही है तीव्रता से कमी – राजेश गोलछा
हमारे अस्तित्व के लिये जरूरी है जल - कविंद्र जैन
पर्यावरण की सुरक्षा हेतु आम नागरिक, किसान, उद्योगपति सभी की सहभागिता जरूरी
पूर्व में जतन संस्था द्वारा जल संरक्षण के जागरुकता कार्यो के चलते तत्कालीन कलेक्टर व जिला प्रशासन द्वारा संस्था को किया गया था सम्मानित
धमतरी। जल संरक्षण को लेकर जिले मे चल रहे जन जागरण अभियान जल जगार को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए समाज सेवी एवं जतन (जल तल नवसंचरण) संस्था के अध्यक्ष राजेश गोलछा, सचिव कविंद्र जैन ने विज्ञप्ति के माध्यम से इस अभियान के लिए जिला कलेक्टर सहित समस्त प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जल संरक्षण समय की मांग है। जनसंख्या के बढ़ते दबाव, जंगलों की कटाई और आधुनिकीकरण की होड़ मे हमने सृष्टि की सबसे अनमोल वस्तु की उपेक्षा की है जिसके परिणाम स्वरूप जल की उपलब्धता मे खतरनाक तीव्र गति से कमी आई है। भू जल को मुफ्त की वस्तु समझ कर निर्ममता से दोहन बदस्तुर जारी है जबकि भू जल स्तर को बढ़ाने के लिये किये जा रहे प्रयास अभी भी शुरूआती दौर पर ही है। इसका नतीजा यह है कि भू जल स्तर सैकड़ों फीट नीचे जा चुका है। महानगरों मे तो भूमिगत जल समाप्तप्राय है। पूरे ब्रम्हांड मे पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ज्ञात ग्रह है जहाँ पर जीवन है और इसका एक मात्र कारण यही है कि पृथ्वी मे जल की उपलब्धता है। मनुष्य सहित जीव-जंतु, पेड़ पौधे सभी के अस्तित्व के लिये जल जरूरी है। जल के बिना जीवन असंभव है। पेड़ पौधे भी जल के महत्व को समझते हैं इसलिये प्रत्येक वृक्ष अपनी जड़ों मे जल संरक्षित करके रखते हैं ताकि उनका अस्तित्व बना रह सके। मनुष्य जिस बेपरवाही से जल और जंगल का दोहन कर रहा है इससे न सिर्फ मनुष्य का स्वयं का भविष्य खतरे मे है, अपितु अन्य जीवों के हक़ का पानी भी उसने अपनी विलासिताओं मे गँवा दिया है। जतन (जल तल नवसंचरण) संस्था के अध्यक्ष राजेश गोलछा, सचिव कविंद्र जैन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि पानी का दुरूपयोग को न्युनतम करते हुए जल संरक्षण एवं वृक्षारोपण को एक आंदोलन के रूप मे अपनायें। घरों मे, सार्वजनिक स्थलों पर, कार्यालयों, प्रतिष्ठानों सहित सामाजिक भवनों मे अनिवार्य रूप से वर्षा जल को संरक्षित करने के लिये संरचना का निर्माण कराये। समाज सेवी संस्थाएँ इस पर यथा संभव तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग प्रदान करने आगे आयें। उन्होंने क्षेत्र के किसान भाईयों से भी अपील की कि अपने खेतों, बाडिय़ों मे सोखता गड्ढा बनाकर वर्षा जल को संरक्षित करें। आधुनिक कृषि पद्धति अपनायें, फसल चक्र मे परिवर्तन करें, दो फसली कृषि करने वाले किसान एक फसल कम पानी की खपत वाली फसलें जैसे दलहन, तिलहन एवं अन्य नकद क्रॉप लेने का अभियान चलायें ताकि उनके अपने खेतों मे आने वाले कई वर्षों तक पानी की उपलब्धता बनी रह सके। उद्योग संचालकों से भी उन्होंने अपील की कि पानी की खपत कम से कम रखे एवं वॉटर रिसाइकलिंग तकनीक अपनायें और अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर भविष्य के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने मे अपना योगदान दें। उल्लेखनीय है कि जतन (जल तल नवसंचरण) संस्था द्वारा पूर्व में जल संकट की समस्या को समझते हुए गंभीरता पूर्वक लोगो को जल संरक्षण के प्रति जागरुक करने का कार्य किया था। संस्था द्वारा कुछ सालों पूर्व बरसाती पानी के संरक्षण हेतु वाटर हार्वेस्टिंग सहित अन्य ऐसे कार्य जिनके माध्यम से ग्राउंड वाटर लेवल रिचार्ज हो सकें कि जानकारी देकर लोगो को जागरुक किया था। इस उल्लेखनीय कार्य के लिए तत्कालीन कलेक्टर व जिला प्रशासन द्वारा जतन संस्था को सम्मानित भी किया गया था।