मंहगाई के इस दौर में श्री महावीर जैन भोजनशाला मात्र 10 रुपये में मरीजों को दे रही शुद्ध सात्विक भोजन, अनवरत 22 सालों से जारी है सेवा कार्य
टिफिन में दिया जाता है 4 रोटी, चावल, दाल, सब्जी, मरीजों की सेहत को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाता है भोजन
साल 2002 से साध्वी मणीप्रभा जी म.सा. के निर्देशानुसार जैन समाज द्वारा मसीही अस्पताल में विगत दो दशकों से सेवा कार्य को दिया जा रहा अंजाम
औसतन हर माह 3500 से 4000 टिफिन ले रहे है मरीज व परिजन
धमतरी। जैन समाज गुरुजनों के बताये धर्म व सेवाकार्यो के मार्ग पर चलकर मानवता को सार्थक कर रहा है। कई सेवाभावी कार्यो से लोगो को सहयोग करने वाले जैन समाजजन विगत दो दशकों से मरीजों को मामूली दाम लेकर शुद्ध सात्विक भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। बता दे कि साल 2002 से जैन समाज द्वारा श्री महावीर जैन भोजन शाला के नाम से धमतरी मसीही (बठेना) अस्पताल में मरीजो व परिजन को टिफिन सेवा प्रारंभ की गई। शुुरुवात में 5 रुपये से भी मरीजों को टिफिन प्रदान किया गया लेकिन 8 से 10 वर्ष पूर्व ही टिफिन के दाम बढ़ाकर 10 रुपये किया गया। इस मंहगाई के दौर में 10 रुपये में 4 रोटी, चावल, दाल, सब्जी प्रदान करना किसी सेवा से कम नहीं है। यहां तक कि टिफिन में मरीजों की सेहत को ध्यान में रखते हुए शुद्ध सात्विक भोजन दिया जाता है। बता दे कि पिछले 8-10 सालों में मंहगाई कई गुणा बढ़ गई है। खाद्य सामाग्रियों, अन्न आदि के दाम कई गुणा बढ़ गये है। बाउजूद इसके जैन समाज द्वारा अभी भी मात्र 10 रुपये में ही टिफिन प्रदान किया जा रहा है। समाज के इस कार्य से गरीब व मध्यम वर्षीय मरीजों व उनके परिजनों को बाहर के अतिरिक्त गरिष्ट व मंहगे भोजन से राहत मिल रही है। कई बार कुछ ऐसे भी मरीज होते है। जो खिचड़ी की मांग करते है। भोजन शाला द्वारा उन्हें खिचड़ी बनाकर भी दिया जाता है। समाजजनों द्वारा समय-समय पर मसीही अस्पताल में टिफिन के साथ फल, मठा व अन्य पौष्टिक सामाग्रियों का भी वितरण किया जाता है। वर्तमान में 20 मई से भोजनशाला में नि:शुल्क मठा वितरण भी किया जा रहा है। ज्ञात हो कि श्री महावीर जैन भोजनशाला समिति के अध्यक्ष शांतिलाल लुंकड़, सचिव महेश सेठिया व विजय गोलछा, मदनलाल चौरडिय़ा, संतोष पारख, रतनलाल सांखला, महेश पारख, महेश कोटडिय़ा, हुकुमचंद गोलछा आदि शामिल है। समिति द्वारा भोजनशाला को ठेके पर दिया गया है। भोजन शाला में जैन समाज के दो व्यक्ति सुरेश कुमार बैद, मुकेश कुमार बंगानी सालों से कार्य कर रहे है। जिनके परिश्रमिक की व्यवस्था भी समिति द्वारा किया जाता है। श्री बैद व श्री बंगानी ने बताया कि रोजाना मरीजों के परिजन पर्ची दिखाकर टिफिन की बुकिंग कर सकते है। सुबह 10.30 से दोपहर 12.30 तक और शाम 5.30 से 630 बजे तक रात का भोजन प्रदान किया जाता है। स्मार्ट कार्ड के मरीजों को नि:शुल्क टिफिन दिया जाता है। व अन्य मरीज व एक परिजन को मात्र 10 रुपये में टिफिन दिया जाता है। श्री महावीर जैन भोजन शाला में औसतन हर माह 3500 से 4000 टिफिन मरीज व परिजन ले रहे है। समिति द्वारा पूर्व में 4-5 साल तक जिला अस्पताल में भी मरीजों को मामूली शुल्क लेकर टिफिन सेवा दी गई है। कोरोना काल के दो वर्ष के विपरीत परिस्थितियों में भी भोजन शाला से मरीज और उनके परिजनो को समय पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया गया।
40 रुपये टिफिन का खर्च मरीजों को देते है 10 रुपये में
श्री महावीर जैन भोजन शाला समिति के अध्यक्ष शांतिलाल लुकंड़ में पूछने पर बताया कि बढ़ती मंहगाई के कारण टिफिन निर्माण की लागत भी बढ़ी है। वर्तमान में एक टिफिन बनाने में लगभग 40 रुपये की लागत आ रही है। लेकिन 8-10 सालों से 10 रुपये में ही टिफिन प्रदान किया जा रहा है। कर्मचारियों व शेष अन्य खर्चो को जैन समाजजनो के सहयोग से अरजेस्ट किया जाता है। श्री लुंकड़ ने बताया कि कई ऐसे लोग भी है जो इस सेवा कार्य से प्रभावित होकर स्वमेव सहयोग को अप्रोच करते है। उनकी भावना का सम्मान करते हुए अन्य समाजजनों के सहयोग को भी मना नहीं कर पाते है।
सेवा और मरीजों की सुविधा है उद्देश्य – शांतिलाल लुंकड़
हाईवे चैनल से चर्चा करते हुए अध्यक्ष शांतिलाल लुंकड़ ने बताया कि साल 2002 में साध्वी मणीप्रभा जी म.सा. के निर्देश पर मसीही अस्पताल के सहयोग से टिफिन सेवा प्रारंभ किया गया शुभारंभ के दौर से ही इस कार्य का उद्देश्य सेवा और मरीजों को भोजन जैसी आवश्यक सुविधा प्रदान करना रहा है। जो कि आज 22 वर्षो के बाद भी अनवरत रुप से जारी है। समाजजन आगे आकर इस सेवा कार्य में सहयोग प्रदान करते है।
जब कांकेर के अधिकारी ने टिफिन सेवा से प्रभावित होकर की थी सहयोग की जिद
अध्यक्ष शांतिलाल लुंकड़ ने पुरानी यादो को ताजा करते हुए बताया कि टिफिन सेवा के शुरुवाती दौर में कांकेर के एक अधिकारी की पत्नी बठेना अस्पताल में भर्ती थी। इस दौरान 5 रुपये टिफिन मिलता था। जिसका लाभ उक्त अधिकारी भी ले रहे थे। उक्त अधिकारी ने श्री लुंकड़ से कहा कि सम्पन्न सक्षम लोगो को ज्यादा दाम पर टिफिन देना चाहिए। जिस पर श्री लुंकड़ ने कहा कि सक्षम व असक्षम की पहचान व भेदभाव की सोच समिति की नहीं है। जिस पर अधिकारी टिफिन सेवा से प्रभावित होकर डिस्चार्ज के दिन नगद 3000 देने लगे जिसे लेने से श्री लुंकड़ ने मना किया, लेकिन अधिकारी के काफी जिद करने के पश्चात उन्हें राशि लेनी पड़ी। इसके कुछ दिन पश्चात पुन: धमतरी आने के पश्चात अधिकारी ने फिर से 10 हजार की आर्थिक राशि लेने की जिद करते हुए समिति को प्रदान किया।
डॉ सुनील चटर्जी का रहा विशेष सहयोग
श्री महावीर जैन भोजन शाला प्रारंभ होने के पूर्व अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के परिजन परिसर में ही चूल्हे पर खाना बनाते थे। जिससे अस्पताल में धुएं से प्रदूषण होता था। परिजनों को भी परेशानी होती थी। इस समस्या को देखते हुए मसीही अस्पताल के तत्कालिक अधीक्षक डा सुनील चटर्जी ने भी इस प्रकार की सेवा की राय दी। साथ ही टिफिन सेवा के लिए अस्पताल परिसर में नि:शुल्क भवन व बिजली सेवा दी इस प्रकार मरीजों व परिजन को मिलने वाले इस टिफिन सेवा के लाभ में दिवगंत डा. सुनील चटर्जी की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। वर्तमान में मसीह अस्पताल के अधीक्षक डा. संदीप पटौंदा द्वारा भी पूर्व से जारी सहयोग को निरंतर प्रदान किया जा रहा है।