हीटवेव से पर्यटन स्थलों में पसरा सन्नाटा
प्रदेश भर में विख्यात गंगरेल बांध में छुट्टियों के दिन भी पहुंच रहे गिनती के पर्यटक
सोंढुर, दुधावा, माडमसिल्ली में भी छाई विरानी, बांधो में जल भराव भी काफी कम
धमतरी। प्रदेश सहित देश भर में हीटवेव चल रहा है। लोग भीषण गर्मी से हलाकान हो चुके है। इसका असर सामान्य दिनचर्या पर भी पड़ रहा है। गर्मी के चलते साल भर पर्यटकों से गुलजार रहने वाला गंगरेल बांध सहित जिले के अन्य बांधो में भी पर्यटकों को टोटा पड़ा हुआ है। ज्ञात हो कि गंगरेल बांध की ख्याति प्रदेश भर में फैली हुई है। यह प्रदेश का जल भराव के मामले में दूसरा सबसे बड़ा बांध है। गंगरेल बांध की क्षमता 32.150 टीएमसी की है। लेकिन वर्तमान में गंगरेल बांध में मात्र 7.8 टीएमसी पानी है। जिसमें 5 टीएमसी डेड स्टोरेज होता जिसका उपयोग नहीं किया जाता। इस प्रकार बांध में मात्र 2.8 टीएमसी पानी ही उपयोगी है। हीटवेव और भीषण गर्मी का असर न सिर्फ बांध के पानी पर पड़ा है बल्कि पर्यटन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गंगरेल बांध में रोजाना हजारों श्रद्धालु व पर्यटक पहुंचते है। लेकिन भीषण गर्मी के कारण गिनती के लोग ही पहुंच रहे हैै। पहले जहां बांध के वाटर स्पोटर्स क्षेत्र में लोगों की भीड़ उमड़ती थी वहां भी अब पर्यटकों की संख्या काफी कम हो गयी है।
इसी प्रकार अन्य बांधो सोंढुर, दुधावा, माडमसिल्ली में भी पर्यटकों का टोटा है। यहां तो वीरानी छाई हुई है। जिला मुख्यालय से दूरी ज्यादा होने के कारण यहां पर्यटकों की संख्या बिल्कुल कम हो गई है। कमजोर मानसून व पानी के बेहताशा दोहन के कारण इन बांधो की स्थिति भी खराब है। उक्त तीनों बांध गंगरेल बांध के सहायक बांध है। माडमसिल्ली बांध तो लगभग सूख चुका है वहीं सोंढुर और दुधावा बांध को मिला कर भी मात्र दो टीएमसी पानी शेष है। सोंढुर बांध में 21 प्रतिशत ही जल भराव है। यहां से दुधावा बांध के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। दुधावा बांध में मात्र 15 प्रतिशत जल भराव है। बांधो में पानी काफी कम होने से बांध की प्राकृतिक सौन्द्रर्यता भी घटती है। इससे पर्यटक आकर्षित नहीं हो पाते।
पर्यटन को बढ़ावा देने पर कलेक्टर दे रही जोर
कलेक्टर नम्रता गांधी गंगरेल में पर्यटन को बढावा देने जोर दे रही है। उन्होने अधिकारियों की बैठक लेकर पार्किंग स्थल, मानव वन, मचान हट, बोटिंग व मंदिर परिसर को सुव्यवस्थित पर्यटन के रुप में विकसित करने कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये है। पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने ई-रिक्शा और टूरिस्ट गार्ड भी रखे जाने की योजना बनाई जा रही है। वन प्रबंधन समिति के सहयोग से पर्यटन स्थल को हाजरा फाल के तर्ज पर विकसित प्रबंधन पर भी कलेक्टर ध्यान दे रही है।