जीवन में जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल मिलेगा
स्वामी टेऊँराम चालीहा महोत्सव के 12 वें दिन प्रेम प्रकाश आश्रम में हुआ भजन
धमतरी। 12 वें दिन के स्वामी टेऊँराम चालीहा महोत्सव के कार्यक्रम का प्रारम्भ प्रेम प्रकाश आश्रम के आंगन में रात्रि 9.30 बजे हुआ जो रात्रि 11 बजे तक बड़े ही उमंग के साथ चलकर आंनद की अनुभूति कराता रहा। इस सत्संग के आनंद में रायपुर से आए गुरुभक्त बृजलाल नानवानी ने अनेक भजन सुनाए जिसमें एक भजन जो महान कवि नत्था सिंग के द्वारा रचित था। भजन के द्वारा कवि ने समझाने का प्रयास किया है की बड़े ही भाग्य से मनुष्य की योनी हमें मिली है इसमें अच्छे कर्मों जैसे सेवा सत्संग सिमरन दान परोपकार के कार्य करके हमें चौरासी लाख योनियों की मार के कष्टों से मुक्ति प्राप्त करनी है इस अनमोल जीवन को हमें मकड़ी के जैसे अपने जाल में फंसा कर खत्म नहीं करना है कवि का स्पष्ट कहना है कि हम जैसा बोएंगे वैसा पाएंगे जीवन में हम जैसा कर्म करेंगे वैसे ही हमें उसका फल मिलने वाला है अत: हमें पाप से भरे कर्मों को कतई नहीं करना चाहिए पुण्य से परिपूर्ण कर्म करके ही अपने इस भाग्यशाली मनुष्य योनि को सफल करके चौरासी लाख योनियों की मार से बचाकर मुक्ति को प्राप्त करना है।
अपने जीवन में कमाई दौलत को इक्कठा करके जो मकान जमीन जायदाद बनाई है जिस पर अपने आप को उनका मालिक समझ कर खुश हो इतरा रहे हो वो सब तुम्हारे बाद किसी और की हो जायेगी इसलिए इसे इकठ्ठा करके रखने की बजाय इसे परोपकारी कार्यों पर खर्च करके दान करके उनका सदुपयोग कीजिए, जीवन दिन दिन करके आठ पहर सप्ताह महीनों एवं वर्षो के रुप में बीतता चला जाता है कब समाप्त होगा मालूम भी नहीं पड़ेगा जीवन को अब से अभी से परोपकार में लगाएं सेवा सिमरन ध्यान में लगाकर सफल करें।