प्राचीन आठ सौ वर्ष पुराना मकेश्वर महादेव मंदिर के चौखट में माथा टेकने वालें की पूरी होती है मन्नत
विशालकाय घन्टें से ओम नम: शिवाय की निकलती है प्रतिध्वनि
लम्बे समय तक एकांत में रहे महादेव
धमतरी। शहर के हृदय स्थल मकई चौक में विराजित मकेश्वर महादेव मंदिर अति प्राचीन होने के कारण मंदिर की स्थापना संबंधी कोई विशेष प्रमाण उपलब्ध नहीं हो पता है लेकिन जितने संसाधन उपलब्ध हैं उसके आधार पर कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 800 वर्ष पुराना है जो की कभी बस्तर के पगडंडी के रूप में वर्तमान राष्ट्रीय राजमार्ग का प्रयोग वहां के जंगल से लकड़ी ट्रकों में भर कर ले जाने वाले ड्राइवर का मकई तालाब के पार में स्थित इस मंदिर के आसपास ठहरने का स्थल था वह भोजन भी यहीं पर बनाते थे उस समय धमतरी एक छोटे से गांव के रूप में था जहां पर धीरे-धीरे स्वयंभू शिवलिंग की पूजा होने लगी जिसे बाद में मकेश्वर महादेव के साथ तालाब को मकई तालाब और चौक को मकई चौक कहा जाने लगा , मंदिर के संबंध में जानने वाले बुजुर्ग लोगों का यह भी कहना है कि इस मंदिर के आसपास नाग लोक का बसेरा था आज भी वहां पर सांप के भीबोंरे देखने को मिल जाएंगे एक लंबे समय तक महादेव बाबा एकांतवास में रहे। वर्तमान में जो दर्शनार्थ मंदिर प्रांगण में आते हैं वह सिद्ध बाबा के नाम से एक अलग अनुभूति का एहसास करते है। ऐसा माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ मकेश्वर बाबा को सुना दे तो उसकी मन्नत निश्चित ही पूरी हो जाएगी इस बात का प्रमाण अनेक भक्तो के द्वारा सुनाया है दूसरी विशेषता इस मंदिर में लगे हुए विशालकाय घंटे की है जो एक बार बजाने के बाद प्रतिध्वनि के रूप में ओम नम: शिवाय का उच्चारण करती है जिससे पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है।
समय के साथ-साथ अन्य धार्मिक स्थलों की तरह इस मंदिर में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है बल्कि यहां यदि कोई चीज धीरे-धीरे बढ़ रहा है तो यहां के प्रति लोगों के आस्था व श्रद्धा तथा भक्ति जहां प्रतिदिन शाम को भक्तगण विशेष श्रृंगार रोज करते हैं तथा हर सोमवार को भंडारा प्रसादी में भी सैकड़ो लोग प्रसाद ग्रहण करने के लिए उमड़ते हैं इस मंदिर की विशेषता यहां है कि यहां जब से बाबा एकांतवास से निकालकर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं तब से एक माता पुजारी के रूप में भगवान की पूजा अर्चना प्रतिदिन करती है इस मंदिर में भक्तगणों द्वारा सावन के प्रारंभ से ही अंतिम दिवस तक पूरे माह जलाभिषेक के साथ ही विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाता है पूर्व में यहां 75000 रुद्राक्ष भी भक्तों को बांटे गए थे मंदिर से जुड़े हुए भगवान के भक्त गोपाल कटारिया ने बताया कि मकेश्वर महादेव बाबा के आशीर्वाद से पूरे सावन माह शाम के समय महा आरती के साथ-साथ भंडारा प्रसादी का आयोजन भी किया जाएगा।