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गंगरेल बांध ने अंचल में लाई हरितक्रांति, 2.65 लाख हेक्टेयर में होती है सिंचाई

प्रदेश की लाइफ लाईन है महानदी जलाशय परियोजना

महानदी मुख्य नहर से सिंचाई के लिए छोड़ा जा रहा पानी
धमतरी। वर्तमान में एक बार फिर गंगरेल बांध प्रदेश के कई हिस्सों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है। बारिश थमने के बाद सिंचाई हेतु पानी की आवश्यकता थी इसलिए फसलों के बेहतर ग्रोथ हेतु महानदी जलाशय परियोजना गंगरेल बांध से मुख्य नहर में रुद्री बैराज से पानी छोड़ा जा रहा है। गंगरेल बांध के कैचमेंच एरिया में बारिश थमने से पानी की आवक काफी कम है ऐसे में बांध से नदी में जो पानी छोड़ा जा रहा था उसे भी बंद किया गया है। वर्तंमान में नहर से सिंचाई हेतु पानी दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि महानदी जलाशय परियोजना की नींव 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने 5 जून को रखी थी, जो 8 साल में बनकर तैयार हुई और उदघाटन सन् 1980 में हुआ। उस समय हेड वर्क यूनिट और फीडर केनाल बनाने में 29.15 करोड़ रुपए की लागत आई थी। यहां से सिंचाई सुविधा मिलने से अंचल में हरित क्रांति आई है। इस परियोजना को बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में परिवर्तित करने के लिए गंगरेल नामक ग्राम के निकट महानदी में बांध बनाया गया, इसलिए इसे गंगरेल बांध या महानदी परियोजना के नाम से जाना जाता है। इससे सिंचाई के अतिरिक्त मत्स्य पालन, औद्योगिक क्षेत्रों को जलापूर्ति, जल विद्युत उत्पादन, पर्यटन आदि उद्देश्यों की पूर्ति हो रही है। यह बांध शीर्ष पर 1375.75 मीटर लंबा तथा 32 मीटर ऊंचा है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 3670 वर्ग किमी तथा इसकी कुल भंडारण क्षमता 90932 हेक्टेयर मीटर है। इस बांध से रायपुर, बलौदाबाजार, अभनपुर, धमतरी, कुरूद, तिल्दा तथा भाटापारा तहसीलों की लगभग 2 लाख 65 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचाई होती है। इसके अतिरिक्त भिलाई स्टील प्लांट, रायपुर नगर निगम, धमतरी को भी पानी जरूरत अनुसार नियमित दिया जाता है।


रविशंकर सागर परियोजना (गंगरेल) अविभाजित मध्यप्रदेश के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का सबसे बड़ा जलाशय है, जिसका जलग्रहण क्षेत्र 3670 वर्ग किमी है। पूर्ण जलस्तर 348.70 मीटर व अधिकतम जलस्तर 350.70 मीटर है। इस जलाशय के बनने से 22 राजस्व ग्राम एवं 3 वनग्राम पूर्ण रूप से और 27 राजस्व ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। इन 52 ग्रामों में से 12 ग्रामों की स्थिति ऐसी थी कि उनकी आबादी का क्षेत्र डूब क्षेत्र से बाहर था, इसलिए उन्हें बसाहट के लिए अन्य ग्रामों में नहीं जाना पड़ा।
बांध निर्माण से प्रभावित गांव
महानदी जलाशय परियोजना को बनाने के लिए 52 ग्रामों को विस्थापित कर लोगों को दूसरी जगह बसाया गया। इन ग्रामों में सिललरा, उरपुटी, मौगरी, कांदरी, बरबांध, हरफर, पटौद, अरौद, पटेलगुड़ा, भिडावर, सिंधोला, बरगरी, मोगरागहन, कोसमी, मालगांव, सटियारा, कोलियारी, कोहका, तिर्रा, माटेगहन, चिखली, तुमाबुजुर्ग, तुमाखुर्द, गंगरेल, ओन्हाकोना, मुसकेरा, अलोरी, भैंसमुड़ी, पोड़, मचांदूर, माहोद, कोचवाही, तेलगुडा, भेलाई, तांसी, देवीनवागांव, बागडोंगरी, मुरूमतरा, किशनपुरी, सुपलीकोना, ढेमली, बसंत, कोडग़ांव, कोडग़ांव रैयतवारी, पंडरीपानी, चंवर, कोदागहन, अकलाडोंगरी, कलारबाहरा, पहारियाकोव्हा शामिल हैं।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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