कई तालाबों का पानी है दूषित, भरे होने के बाद भी नहीं कर पा रहे लोग निस्तारी
सालों से नहीं बदला है पानी, सफाई पर भी नहीं दिया जा रहा ध्यान
कुछ तालाबों में पहुंचता है नालियों का पानी, उपयोग से हो रही त्वचा संबधित बीमारी
धमतरी। धमतरी शहर के कई तालाबों का अस्तित्व खतरे में है। और जो तालाब हरे भरे है वे भी उपयोगविहीन हो गये है। तालाब का पानी सालों से प्रदूषित हो चुका है। ऐसे में चाहकर भी लोग तालाब का प्रयोग निस्तारी हेतु नहीं कर पा रहे है।
ज्ञात हो कि शहर के कई तालाब जैसे बनियातालाब, खोडिय़ा तालाब, सुबन तालाब, आमापारा तालाब आदि कुछ तालाबों में साल भर पानी भरा रहता है। बाउजूद इसके इन तालाबों में लोग उपयोग नहीं कर पाते। भीषण गर्मी में वार्डो में जल संकट उत्पन्न होता है। वाटर लेवल नीचे चले जाने के कारण नल बोर फेल हो जाते है। ऐसे में इस संकट के समय लोग आसपास के तालाबों में निस्तारी कर थोड़ी राहत पा सकते है। लेकिन तालाबों का पानी गंदगी से लबरेज रहता है। पानी में दुर्गंध उठती है। पानी का रंग मटमैला हो चुका है। ऐसे में यदि कोई उक्त तालाबों में स्नान कर ले तो उन्हें त्वचा संबधित शिकायतों का सामना भी करता पड़ता है। लोगो ने चर्चा में बताया कि पुराने जमाने से तालाबों का महत्व है लेकिन उदासीनता के चलते तालाब अब सिर्फ नाम के लिये रह गये है। कई तालाब सूखे पड़े रहते है। ऐसे में वे वैसे ही उपयोग के लायक नहीं रहते है। और जिन तालाबों में पानी भरा हुआ है वे प्रदूषित होने के कारण उपयोविहीन रह गये है। लोगो ने निगम प्रशासन से मांग की है कि तालाबों को दूषित होने से बचाया जाये। कुछ दिन पूर्व ही बनिया तालाब की सफाई कराने वार्डवासी पहुंचे। उन्होने महापौर को बताया कि बनियातालाब में मकेश्वर वार्ड, महंत घासीदास वार्ड, साल्हेवारपारा, बनियातालाब के निवासियों की निस्तारी होती थी। लेकिन प्रदूषित होने के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। तालाबों में पहुंचने वाले नालियों के पानी व अन्य गंदगियों को रोके और तालाब की सफाई नियमित समय अंतराल में करायें। जिस पर महापौर ने सफाई का आश्वासन दिया है।
लोगों में जागरुकता नहीं
ज्ञात हो कि निगम व प्रशासन द्वारा समय-समय पर तालाबों में पूजन सामाग्री व मूर्तियां विसर्जित करने से मना करने के बाद भी लोग नहीं मानते। गंदगी को तालाब किनारे या सीधे तालाब में फेंक देते है। जिससे तालाब दूषित होता है। कुछ लोगो द्वारा तालाब किनारे शराब आदि सामानों का सेवन कर तालाब में फेंक दिया जाता है। कुछ लोगो तो घरों के गंदा पानी को भी तालाब में गिरा देते है।
परम्पराये हो रही प्रभावित
ज्ञात हो कि हिन्दू धर्म में मृत्यु होने पर तालाब जाकर परिवार व समाजजनों द्वारा तीजनाहवन, पंचनहावन, दशगात्र आदि दिवसों पर वहां स्नान कर शुद्धि होने की परम्परा है। लेकिन तालाबों के दूषित पानी को देखते हुए परम्पराओं को औपचारिकता के तौर पर लिया जा रहा है। अब तालाबों में शोक कार्यक्रम के तहत लोग स्नान से परेहज करते है। ऐसे में तालाबों को स्वच्छ बनाने ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।