नए-नए क्षेत्रों में प्रवेश कर रही है सहकारिता : डॉ दीक्षित

धमतरी, जिला सहकारी संघ धमतरी द्वारा शासकीय नवीन महाविद्यालय आमदी में 72वां अखिल भारतीय सहकारी सप्ताह के छठे दिवस 19 नवंबर के विषय पर्यटन, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा, प्लेटफार्म को ऑप्स, किचन को ऑप्स किसी भी अन्य कल्पनीय क्षेत्र जैसे उभरते क्षेत्रों में सहकारी समितियो का विस्तार करना” पर प्रशिक्षण कार्यक्रम महाविद्यालय आमदी के जनभागीदारी सदस्य नागेंद्र साहू के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ जी पी जायसवाल प्राचार्य की अध्यक्षता एवं सहायक प्राध्यापक क्रमशः तरुण बैनर्जी, डीगेश्वर अटल, अंकित कुमार बोधवानी, प्रवक्ता डॉक्टर ए एन दीक्षित, जिला सहकारी संघ धमतरी के प्राधिकृत अधिकारी सी पी साहू, प्रबंधक ए पी गुप्ता की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आरंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की पूजन के साथ महाविद्यालय के छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना पश्चात अतिथियों के स्वागत उपरांत किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नागेंद्र साहू ने कहा कि सहकारिता नए क्षेत्रों में प्रवेश कर रही है। प्रशिक्षण में बताये जा रहे जानकारी से हमें लाभ उठाना चाहिए। प्राचार्य डॉ जायसवाल ने उपस्थित विद्यार्थियों को मंचस्थ अतिथियों का परिचय पश्चात सहकारिता पर अपने विचार व्यक्त किये। संघ के प्राधिकृत अधिकारी साहू ने कहा कि आर्थिक विकास हेतु हर व्यक्ति को स्वस्थ रहना जरूरी है। हमें अपना कार्य राष्ट्र सेवा के रूप में करना होगा। स्वस्थ समाज के लिए नैतिकता एवं नशा मुक्ति जरूरी है। उन्होंने नशा मुक्त भारत हेतु संकल्प भी करवाया। संघ प्रबंधक गुप्ता ने सहकारी सप्ताह के थीम सहित इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
विषय विशेषज्ञ प्रवक्ता डॉ दीक्षित ने अपने उद्बोधन में कहा कि सहकारिता आज प्रत्येक निर्धन, शोषित, कमजोर वर्ग के उद्धार का पर्याय बनकर सामने आ रही है। परंपरागत रूप से हमारे देश में सहकारिता का जन्म कृषि साख के क्षेत्र में हुआ। फिर क्रमशः डेयरी, पशुपालन, मत्स्य पालन, हाथकरघा, परिवहन और आवास जैसे क्षेत्रों में सहकारिता ने अपनी पहचान बनाई है, परंतु आज सहकारिता इन क्षेत्रों से आगे जा रही है। गांव तथा शहर में अनेक ऐसे क्षेत्र विकसित हो रहे हैं, जहां सहकारी समिति के माध्यम से लोगों की आय एवं रोजगार में महत्वपूर्ण सुधार किया जा सकता है। ये नए क्षेत्र हैं – पर्यटन, स्वास्थ्य सेवाएं, हरित ऊर्जा, सेवा प्लेटफॉर्म आदि। इन असंगठित क्षेत्रों में प्रायः लोगों को खराब गुणवत्ता, अनुचित कीमत एवं अविश्वसनीय सेवा का सामना करना पड़ता है। सहकारिता इन कमजोरियों का समाधान कर सकती है। इन समितियो में श्रमिक सदस्य, उपभोक्ता सदस्य या संस्थागत सदस्य शामिल रहते हैं। सभी सदस्य आपसी सहयोग से धन एकत्रित कर व्यवसाय का प्रारंभ करते हैं, जो बैंकिंग सहयोग एवं सरकारी अनुदान से मजबूत बनता जाता है। समिति के संचालक मंडल में युवाओं एवं महिलाओं की भागीदारी रहने से इन वर्गों के हितों की रक्षा होती है। प्रबंधक, लेखापाल एवं तकनीकी कार्य हेतु वैतनिक कर्मचारी या सदस्य रखे जा सकते हैं। समिति अपनी सेवाओं का एक अच्छा ब्रांड नाम देकर उसका प्रचार कर सकती है। जिससे उपभोक्ताओं में उस उत्पाद के प्रति विश्वास उत्पन्न होता है। सदस्यों का यूनिफॉर्म एवं समिति द्वारा जारी परिचय पत्र उस पर जनता के भरोसे को बढ़ाते हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के साथ ही बड़ी संख्या में छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक डीगेश्वर अटल एवं आभार प्रदर्शन सहायक प्राध्यापक अंकित कुमार बोधवानी ने किया।
