कोलियारी मार्ग पर चलना खतरे से खेलने के समान है
बड़े-बड़़े गड्ढे, जर्जर सड़के कीचड़, वाहनों के बिगड़ते नियंत्रण से परेशान हो चुके है लोग
धमतरी। बारिश का मौसम धमतरीवासियों के लिए किसी आफत से कम साबित नहीं हो रहा है। एक तो बारिश की कमी से फसल, बांध सूख रहे है। और यदि चंद मिनटो की ही छुटपुट बारिश हो जाये तो यह जर्जर सड़को के कारण आफत बन जाता है। पिछले कई सालों से कोलियारी से लेकर दोनर, खरेंगा, जोरातराई तक अति जर्जर सड़क के निर्माण चौड़ीकरण की मांग कई गांवो के हजारों लोगो द्वारा की जा रही है। लेकिन भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टियों द्वारा सिर्फ इस पर राजनीति की गई। नतीजन आज तक उक्त सड़क का निर्माण चौड़ीकरण नहीं हो पाया। इस दौरान कई आंदोलन हुए धमतरी से नगरी, उड़ीसा जाने हेतु सिहावा रोड से होकर जाना पड़ता है। इसके लिए कोलियारी पुल और मार्ग से होकर गुजरना पड़ता है। लेकिन उक्त मार्ग पर चलना किसी खतरे से खेलने के समान है। इस मार्ग पर कीचड़, जर्जर, सड़के, बड़े-बड़़े गड्ढ़े है। गड्ढ़ो में पानी कीचड़ होने से गड्ढ़ो का सही अंदाजा नहीं हो पाता। ऐसे में वाहनों का नियंत्रण बिगड़ जाता है। आसपास के ग्रामीणों ने बताया रोजाना कई वाहन चालक इन मार्ग में गिरकर घायल होते है। कुछ स्थानों पर तो गड्ढ़े इतने गहरे व बड़े हो चुके है कि बीच सड़क पर सावधानी, चेतावनी बोर्ड लगाना पड़ा है। ताकि कोई अनहोनी न हो जाये। लोगो ने यह भी बताया कि कोलियारी पुल की स्थिति भी जर्जर हो चुकी है। दशकों पहले पुल का निर्माण हुआ है। पुल में कई जगह क्रेक बन चुके है। पुल की सड़क तो पूरी तरह खराब, जर्जर चुकी है। इस पुराने मरम्मत योग्य पुल से रोजाना हजारों छोटी बड़ी वाहनों का आवागमन होता है। बारिश के मौसम में खतरा और ज्यादा बढ़ गया है। लोग पूर्व में पुल की मरम्मत निर्माण की मांग कर चुके है। लेकिन इस ओर जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
हर प्रयास के बाद भी नहीं बन पाई सड़क
ग्रामीणों ने चर्चा के दौरान बताया कि सड़क की दशा सुधारवाने हर तरह का प्रयास किया गया। धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल, चक्काजाम, ज्ञापन, सीएम हाउस का घेराव जैसे सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अपनाया गया। आश्वासन मिला कई बार दोनो पक्षो के नेताओं ने स्वीकृति दिलाने, बजट में शामिल कराने जैसे बाते बता कर श्रेय लिया गया। जो विपक्ष में रहता है वह सड़क के लिए आवाज उठाता है। और वहीं सत्ता में आये तो आवाज दब जाती है। कुल मिलाकर कहा जाये तो इतनी जर्जर सड़क की दशा सुधारने न ही अधिकारियों न सरकार न ही नेताओं ने सार्थक प्रयास किये।