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रक्तदाताओं की कमी से जिला अस्पताल में होती रक्त की किल्लत, रोजाना 40 युनिट की है आवश्यकता

स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आगे नहीं आ रहे लोग, इमरजेंसी में भटकना पड़ता है मरीजों, बाहरी मरीजों को होती है ज्यादा परेशानी

धमतरी । जिला अस्पताल में मरीजों को रक्त चढ़ाने और उनकी जरुरतों को ध्यान में रखते हुए ब्लड बैंक की स्थापना सालों पहले की गई है। लेकिन ब्लड बैंक में पिछले काफी समय से रक्त की कमी बनी हुई है। इसका मुख्य कारण रक्तदाताओं का स्वैच्छिक रक्तदान के लिए आगे नहीं आना है। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल धमतरी में लगभग कुल 230 बेड है रोजाना लगभग 500 की ओपीडी रहती है न सिर्फ धमतरी जिले बल्कि आसपास व बस्तर तक के मरीज पहुंचते है। यहां कई ऐसे मरीज होते है जिन्हे ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता होती है। वहीं बीते कुछ सालों में थैलेसीमिया और सिकलिन के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इस बीमारी में पीडित के शरीर में खून की कमी बनी रहती है। लगातार उन्हें खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। इन्ही कारणों से जिला अस्पताल में खून की कमी रहती है। यदि लोग स्वमेव ही रक्तदान करने रुचि दिखाये तो ऐसी स्थिति नहीं बनेगी। रक्त की कमी उस समय मरीजों व परिजनों के लिए परेशानियों का ज्यादा कारण बन जाता है जब ब्लड बैंक में रक्त का पर्याप्त स्टॉक नहीं रहता ऐसे में परिजनों को स्वयं रक्तदाता लाना पड़ता है। और यदि मरीज अन्य जिलो से हो तो यह समस्या बड़ी बन जाती है। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में रोजाना औसतन 40 युनिट ब्लड की आवश्यकता होती है, लेकिन कई बार 40 युनिट ही स्टॉक में नहीं रहता है ऐसे में आवश्यकता वाले रक्तदाता नहीं मिलने पर दूसरे ब्लड ग्रुप रक्त लेकर उसे स्टॉक में रख आवश्यक ब्लड को मरीज को दिया जाता है।
अस्पताल में है 600 युनिट ब्लड रखने की क्षमता


बता दे कि जिला अस्पताल में 600 युनिट ब्लड स्टोर करने की क्षमता है। जिसमें 300 युनिट टेस्टेड ब्लड और 300 युनिट अनटेस्टड ब्लड शामिल है। लेकिन वर्तमान में काफी कम ब्लड स्टोर रहता है। जिला अस्पताल में निगेटिव ब्लड ग्रुप की आवश्यकता के दौरान समस्या विकट हो जाती है। दरअसल जल्द यह ब्लड एक्सपायरी हो जाने कारण अस्पताल में निगेटिव ब्लड को कम ही स्टॉक में रखा जाता है। और अचानक जरुरत पडऩे पर तत्काल डोनर ढुंढना पड़ता है। जिससे परिजनों की समस्या बढ़ जाती है।
खुद न देकर दूसरों से लेना है खून
ऐसे कई लोग है जो निरंतर अंतराल में व गंभीर मरीजों की मद्द के लिए रक्तदान करते रहते है। कई बार ऐसे लोग रक्त की मांग करते है जिनके परिवार में सेम ब्लड ग्रुप के कई लोग होते है। लेकिन उन्हें रक्तदान से डर लगता है। या रक्तदान करना ही नहीं चाहते और दूसरों से रक्तदान की उम्मीद रखते है। ऐसी मानसिकता वाले लोगों के कारण ही रक्त की कमी बनी रहती है। बार-बार बताने समझाने के बाद भी लोग रक्तदान से परहेज करते है। जबकि प्रत्येक तीन माह में स्वस्थ व्यस्क व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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