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पथ संचलन में स्वयंसेवकों का अनुशासन रहा आकर्षण का केंद्र

राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए समाज अपना कर्तव्य निभाएं : डा.पूर्णेंदू सक्सेना

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने विजयादशमी उत्सव मनाया
धमतरी । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा शुक्रवार को नूतन स्कूल प्रांगण में विजयादशमी उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने नगर में पथ संचलन किया। 2.30 बजे शुरु हुआ पथ संचलन कार्यक्रम स्थल से निकलकर गणेश चौक, सदर बाजार, कचहरी चौक, चमेली चौक, मठमंदिर चौक, गोलबाजार, घड़ी चौक, बस्तर रोड, रत्नाबांधा चौक, शिवचौक, बनियापारा, तहसील आफिस होते हुए पुन: कार्यक्रम स्थल पहुंचा, जहां मंचीय कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा.सी एल साहू थे। मुख्य वक्ता प्रांत संघचालक डा.पूर्णेंदू सक्सेना थे। मंच पर जिला संघचालक श्याम अग्रवाल, नगर संघचालक रामलखन गजेंद्र आसीन थे। मुख्य वक्ता डा. सक्सेना ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संघ के लिए विजयादशमी पर्व काफी महत्वपूर्ण है। विजयादशमी के दिन ही संघ की स्थापना हुई थी। संघ ने एक नई समाज की परिकल्पना की थी। देश की आजादी के समय डा. हेडगेवार ने कहा था कि समाज में सामान्य वर्ग अगर समाज की चिंता नहीं करेंगे तो प्राप्त स्वतंत्रता स्थायी नहीं होगी। विघटनकारी शक्तियां देश में हावी हैं जो देश के टुकड़े -टुकड़े करना चाह रही हैं। इससे हमको निपटना है। समाज को सशक्त होकर खड़ा होना होगा। इसके लिए व्यक्ति और समाज को एकजुट होने की आवश्यकता है।

श्री सक्सेना ने आगे कहा कि व्यक्ति से समाज का निर्माण होता है और समाज को संगठित करने का कार्य संघ कर रहा है। विजयादशमी शक्ति का जागरण करने का पर्व है। समाज में शक्ति जागरण करना संघ का मूल उद्देश्य है। परिणामस्वरूप समाज में परिवर्तन की लहर देखने को मिल रही है। व्यक्ति को कर्तव्य का मान रखना चाहिए। शक्ति व्यक्ति में ही निहित होती है। शक्ति जागरण का पहला काम व्यक्ति निर्माण होता है। व्यक्तित्व और संस्कारों के माध्यम से राष्ट्र का जागरण होता है और यह काम संघ बखूबी कर रहा है। रोज शाखा के माध्यम से व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण हो रहा है। शक्ति का पहला केंद्र बिंदु व्यक्ति होता है। वही समाज में जागरण का काम करेगा। कुटुंब परिवार की संरचना का शक्ति केंद्र है। यह भारत की पुरानी परम्परा है। विदेशों में परिवार बिखर गया है। संस्कार विहीन राष्ट्र हो गया । कुटुंब परिवार नहीं के बराबर है। वर्तमान में देश की राजनीतिक व्यवस्था परस्पर अविश्वास पर चल रही है। शासन के माध्यम से दुनिया की भलाई नहीं हो सकती, समाज का भी कुछ कर्तव्य है। राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए समाज अपना कर्तव्य निभाएं। संकल्प लेकर आगे बढऩे से राष्ट्र का निर्माण होता है। पूर्वजों ने धार्मिक ग्रंथ तो लिख दिया है लेकिन बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता है, गुरु सर्वोपरि है। समाज गुरुओं पर निर्भर है। गुरु के आदेश का पालन करने से ही शिक्षा पूर्ण होती है। धार्मिक ग्रंथों में यह निर्देश दिया गया है। गुरु गद्दियों में अभूतपूर्व शक्ति है। गुरुओं ने समय-समय पर भारत भूमि में अवतार लिए और राष्ट्र निर्माण में सहभागिता निभाई। बिना किसी स्वार्थ के समाज को देने का भाव ही राष्ट्र निर्माण है। साथ-साथ उत्सव मनाने से राष्ट्र का जागरण होता है। यह जानकारी संघ के नगर प्रचार प्रमुख उमेश सिंह बशिष्ट ने दी है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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