जिले के चारों बांधो में पानी कम, रबी सीजन में सिंचाई हेतु पानी की होगी किल्लत
चारों बांधो में है कुल 55 टीएमसी से अधिक जल संग्रहण क्षमता, वर्तमान में है मात्र 25 टीएमसी पानी
गंगरेल बांध में सिर्फ रिजर्व कोटे का पानी ही रह गया शेष, बाकी बांधो की भी स्थिति है खराब
धमतरी । इस साल मानसून की बेरुखी से जिले के एक भी बांध लबालब नहीं हो पाया। ऊपर से खेतो में पर्याप्त पानी नहीं होने से बारिश के मौसम में भी सिंचाई हेतु बांधो से लगातार पानी छोडऩा पड़ा नतीजन बांधो की स्थिति अब बिगड़ चुकी है। ऐसे में आगामी रबी फसल के लिए किसानों को सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी दे पाना शायद संभव नहीं हो पायेगा।
ज्ञात हो कि धमतरी जिले में कुल 4 बांध है। जिसमें रविशंकर जलाशय परियोजना के तहत सबसे बड़ा बांध गंगरेल बांध की क्षमता 32.150 टीएमसी है लेकिन वर्तमान में बांध में मात्र 16.4 टीएमसी उपयोगी पानी है। इसमें भी डेड स्टोरेज के लिए लगभग साढ़े 5 टीएमसी पानी छोड़ दे तो लगभग 11 टीएमसी से भी कम उपयोगी पानी बचता है। इसी प्रकार 5.839 टीएमसी क्षमता वाले मुरुमसिल्ली बांध में मात्र 2.725 टीएमसी, 10.192 टीएमसी क्षमता वाले दुधावा बांधा में मात्र 2.7 टीएमसी और 6.995 टीएमसी क्षमता वाले सोंढुर बांध में मात्र 3.6 टीएमसी पानी है। इस प्रकार जिले के चारो बांधो के जल संग्रहण की क्षमता लगभग 55 टीएमसी से ज्यादा है। जबकि वर्तमान वर्तमान में लगभग 25 टीएमसी उपयोगी पानी ही शेष है। इसमें भी 6 टीएमसी से अधिक पानी बांधो में डेड स्टोरेज के लिए छोडऩा पड़ेगा। अर्थात पानी का कोई उपयोग नहीं किया जा सकता है। ऐसे में 25 में से मात्र 19 टीएमसी पानी शेष रह जाता है।
पहले से रिजर्व है पानी का कोटा
बता दे कि बांधो में डेड स्टोरेज के बाद बचे 19 टीएमसी पानी का कोटा भी पहले से रिजर्व है। इसमें 5 टीएमसी भिलाई प्लांट के लिए, 2 टीएमसी रायपुर नगर निगम के लिए, 1 टीएमसी निस्तारी, 0.65 टीएमसी धमतरी नगर निगम के लिए निर्धारित है। इसके अतिरिक्त 8 टीएमसी पानी सिचंाई के लिए होता है। लेकिन पानी की कमी और बांधो की स्थिति को देखते हुए रबी फसल के लिए पर्याप्त पानी मिल पाना मुश्किल होगा और अब अगले मानसून तक बांध में पानी के आवक की कोई संभावना भी नहीं है।
दलहन, तिलहन फसल पर दिया जा सकता है जोर
बता दे कि धमतरी जिले में ज्यादातर दोनो सीजन में सिर्फ धान की फसल ही ली जाती है। धान की फसल में अत्याधिक पानी की आवश्यकता होता है। चूंकि इस साल जिन किसानों के पास स्वयं के सिंचाई साधन नहीं है और नहर के पानी पर आश्रित है वे धान की जगह दलहन तिलहन की फसल ले सकते है। यह फसल कम पानी में उत्पन्न हो जाती है। और फसलों का चक्रीकरण भी मृदा की उपजाउ क्षमता बनाये रखने के लिए भी आवश्यक है। कृषि विभाग द्वारा भी रबी सीजन में सीजन में दलहन तिलहन की फसल लेने पर जोर देता है।