छठवीं बार चुनाव लड़ रहे भाजपा के अजय व पहली बार चुनाव लड़ रही कांग्रेस की तारिणी के बीच हो सकता सीधा मुकाबला
कुरुद में इस बार भाजपा, कांग्रेस, आप, अमर राज, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी, गोडवाना गणतंत्र पार्टी व निर्दलीय प्रत्याशी है मैदान में
मूलचंद सिन्हा
कुरूद । धमतरी जिले की जिले की एकमात्र कुरूद विधानसभा से भाजपा के अजय चंद्राकर लगातार छठवीं बार चुनावी मैदान में हैं। अजय चंद्राकर यहां से 4 बार जीते हैं, वहीं उनके सामने कांग्रेस पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य तारिणी चंद्राकर को मौका दिया और आप,बसपा, के साथ साथ हमर राज पार्टी, निर्दलीय मिलाकर लगभग सवा दर्जन प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में है। 1998 से पहली बार विधायक बने भाजपा के अजय ने अब तक के पांच चुनावो मे से 4 बार जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य तारिणी को उतार कर कुरूद विधानसभा क्षेत्र में नया चेहरा दिया है। आजाद भारत में सबसे पहले 1952 में आम चुनाव हुए थे और कई जगहों पर विधायकों को मनोनित किया गया था। जिसमें कुरूद विधानसभा सीट से भोपालराव पवार पहले विधायक रहे। फिर 1957 में जब चुनाव हुआ तो उसमें जो कि कांग्रेस से पुन: भोपाल राव पवार विधायक बने। उसके बाद यहां से जनसंघ और जनता पार्टी से भी एक- एक विधायक चुने गए। लेकिन 1998 में युवा नेता के रूप में अजय चंद्राकर ने पहला चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार भूलेश्वरी दीपा साहू को हरा दिया। उसके बाद वो छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम विधानसभा चुनाव 2003 में फिर से विधायक बनने के साथ साथ कैबिनेट मंत्री भी रहे। 2008 के चुनाव में विधायक चुनाव लड़ा कांग्रेस पार्टी से चुनाव हार। हैट्रिक से चूक गए। आजाद भारत के पहले चुनाव 1951 से लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर अडिग वाले कुरूद विधानसभा सीट में कांग्रेस को 8-8 हार का भी सामना करना पड़ा है।
सत्ता की छाव नही खुद के तपिशो में कायम रहती हैं कुरूद की जनता
कुरूद विधान सभा क्षेत्र की जागरूक जनता ने ना सिर्फ आजाद भारत के पहले हुए चुनाव में अपनी जागरूकता और मतदान के नागरिक कर्तव्य को निभाते हुए हर बार सत्ता और सरकार से परे खुद की कसौटियों पर खरा मान हर एक पार्टी के प्रत्याशियों को मौका दिया है। बल्कि 2013 से लेकर 2818 के चुनावो में सर्वधिक मतदान देकर कुरूद विधानसभा क्षेत्र की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर अपने सर्वोच्च योगदान को दिखाया है।
कुरूद विधानसभा क्षेत्र से 1951 में कांग्रेस पार्टी के भोपाल रावपवार ने के. एम पी पी. के गिरधारी लाल को 15137 मतो से शिकस्त दी थी। 1957 के दूसरे चुनाव में भोपाल राव पवार ने हीं कांग्रेस की टिकट पर निर्दलीय रामगोपाल को 6193 मतों से हराया। वही 1962 के चुनाव में जन संघ पार्टी के उम्मीदवार यशवंत राव मेघावाले ने भोपाल राव पवार कांग्रेसी प्रत्याशी को 7000 से भी अधिक मतों से हराया था। इसके बाद 1967 में कांग्रेस पार्टी के ताराचंद साहू ने भारतीय जनसंघ के यशवंत राव मेघवाले को 8110 मतों से हराया। 1972 में फिर से भारतीय जनसंघ के यशवंत राव मेघावाले ने बाल गोविंद साहू कांग्रेस प्रत्याशी को 1275 मतों से हराया। इसके बाद 1980 के चुनाव में चंद्रहास साहू ने भाजपा के यशवंत राव मेघावाले को 5722 वोट से हराया। 1985 में दीपा साहू कांग्रेस ने बीजेपी के सोमप्रकाश गिरी को1389 मतों से हराया। जिसका बदला लेते हुए 1990 के चुनाव में भाजपा के सोम प्रकाश गिरी ने दीप साहू को 20 हजार मतों करारी शिकस्त दी। 1993 में एकदम नए और बाहरी प्रत्याशी को लाकर कांग्रेस ने गुरमुख सिंह होरा पर दाव खेला जिस पर उन्होंने बीजेपी के यशवंत राव मेघावाले को 24000 के भारी मतों से हराया और 1998 से भाजपा के प्रत्याशी रहे अजय चंद्राकर ने पहले चुनाव दीपा साहू कांग्रेस को 1184 मतों से हराया। 2003 में कांग्रेस की दीपा साहू को ही 2709 मतों से हराया ।2008 के चुनाव में कांग्रेस के लेखराम साहू ने भाजपा के प्रत्याशी अजय चंद्राकर को 6205 मतों से हराया। लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता ने वापसी करते हुए 27177 के सर्वाधिक रिकार्ड मतों से लेखराम साहू को हराया और 2018 के चुनाव में शानदार चार बार विधायक रहते हुए अजय चंद्रकर ने निर्दलीय प्रत्याशी नीलम चंद्राकर को 12317 में उसे शिकायत दी थी।
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