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डामरीकरण के डेढ़ माह बाद भी सड़क पर फिर छाया धूल का गुबार

कई स्थानों पर फिर उखड़ी सड़क, डिवायडर किनारे जमी है धूल की परत, स्वच्छता पर नहीं दिया जा रहा ध्यान

धूल के गुबार से फिर परेशान हुई जनता, बढ़ रहे दमा, श्वास व त्वचा रोग के मरीज
धमतरी । शहर के मध्य से होकर नेशनल हाईवे गुजरा हुआ है। उक्त सड़क की जर्जर स्थिति से आम जनता लंबे समय तक परेशान रही, आखिरकार चुनाव के पूर्व अक्टूबर माह के अंत में मुख्यमार्गो का डामरीकरण किया गया जिससे धूल से काफी हद तक राहत मिली। इसके पश्चात पुन: सड़क की दशा जर्जर होने लगी कई स्थानों पर सड़क उखडऩे लगा है। आधा अधूरे डामरीकरण के कारण सड़कों पर फिर से धूल का गुबार छाने लगा है। मात्र महीने डेढ़ महीने के बाद ही लोगों को धूल से परेशान होना पड़ रहा है। ज्ञात हो कि सड़क के बीच रोड डिवायडर बनाया गया है। ताकि आवागमन सुरक्षित व सुगम हो सके। वर्तमान में उक्त रोड डिवायडर के किनारे कई स्थानों पर धूल की परत जमा हो गयी है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि निगम स्वच्छता के प्रति व शहरवासियों को धूल से राहत दिलाने कितनी गंभीर है। बता दे कि पिछले दिनों मिंचौंग तूफान के कारण कुछ दिन वर्षा हुई जिससे सड़क कई स्थानों से उखड़ गया है। वहीं बारिश थमते ही सड़कों पर धूल का गुबार छा जाता है। विशेषकर अर्जुनी मोड़ से नया बस स्टैण्ड, सिहावा चौक, $घड़ी चौक, रत्नाबांधा चौक, अम्बेडकर चौक से कृषि उपज मंडी तक इसी प्रकार सिहावा रोड पर रत्नाबांधा दुर्ग रोड सहित कई अन्य मार्गो पर धूल का गुबार छाया रहता है। धूल का गुबार इतना रहता है कि आगे कुछ ही दूरी पर स्पष्ट नजर नहीं आता। लोग निगम से लगातार धूल से राहत दिलाने की मांग कर रहे है। लेकिन इस ओर विशेष प्रयास नजर नहीं आ रहा है। बड़ी वाहनों के आवागमन के साथ दिन भर सड़कों पर धूल उड़ती रहती है। जिससे आवागमन करने वाले या सड़क किनारे दुकानदार आदि परेशान हो चुके है।

लगातार धूल के संपर्क में रहने के कारण अब शहर में दमा, श्वास के मरीजों की परेशानी बढ़ रही है। साथ ही त्वचा और आई इंफेक्शन की शिकायत भी बढ़ी है। बता दे कि नगर निगम द्वारा सालों पहले रोड स्वीपिंग मशीन लगभग 50 लाख रुपये की लागत से खरीदा गया था। लेकिन इसका उपयोग नहीं कर पाया। शुरुवात में तो कभी कभी मशीन सड़कों पर धूल उठाते नजर आई लेकिन ज्यादा ईंधन की खपत और मेंटनेंस चार्ज बार-बार लगने के कारण उक्त स्वीपिंग मशीन का उपयोग ही बंद हो गया। फिर धीरे-धीरे धूल उठाने वाली लाखों की मशीन स्वयं ही धूल खाते पड़ी रही। आखिरकार यह कबाड़ हो गई।
ड्रेन टू ड्रेन रोड निर्माण जरुरी
बता दे कि जागरुक शहरवासियों द्वारा धूल से राहत दिलाने यातायात सुगम बनाने शहर के मुख्य मार्गो को ड्रेन टू ड्रेन बनाने की मांग की जा रही है। दरअसल वर्तमान में पक्की सड़क के दोनो किनारों पर कच्ची सड़क है। जिससे धूल उड़ता है। और मिट्टी पक्की सड़क पर आती है। इसलिए धूल उडऩे की समस्या बढ़ जाती है। यदि पूरी सड़क किनारे तक पक्की हो जाये तो उड़ती धूल से काफी हद तक राहत मिल सकती है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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