ज्यादातर मोबाईल से आपरेट हो रहा सट्टे का अवैध कारोबार
पुलिस गंभीरता से ध्यान दे तो पकड़े जा सकते है सटोरिये, टूट सकता है चेन
गृहमंत्री, डीजीपी के बाद एसपी के सख्त निर्देश का जिले में हो पायेगा पालन?
धमतरी । सालों से सट्टा समाज में कोढ़ की तरह फैलता जा रहा है यह समाज को भीतर से खोखला कर रहा है। सट्टे की लत में युवाओं से लेकर बुजुर्ग व महिलायें भी है। पहले चुनिंदा लोग ही सट्टा लिखते थे। लेकिन अब साल दर साल सटोरियों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह पुलिस की मौन स्वीकृति का परिणाम है। हाल ही में प्रदेश में नये गृहमंत्री विजय शर्मा ने प्रेदश में अवैध शराब सहित अन्य अवैध कार्यो पर रोक लगाने प्रभावी कार्रवाई नहीं होने पर नाराजगी जताई जिसके बाद आनन-फानन में डीजीपी अशोक जुनेजा द्वारा वीसी के माध्यम से सभी पुलिस अधीक्षकों की बैठक लेकर विभिन्न बिन्दुओं पर प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिये। इसके बाद अगले ही दिन एसपी प्रशांत ठाकुर ने भी जिले भर के पुलिस अधिकारियों की क्राईम बैठक लेकर उन्हें डीजीपी द्वारा प्राप्त निर्देशो से अवगत कराते हुए अवैध कार्यो पर रोक लगाने सख्त निर्देश दिये। अब देखना यह होगा कि एसपी के सख्त निर्देश का जिले में कितना पालन होता है। क्योंकि एसपी द्वारा तो हर बार सख्त निर्देश दिये जाते है। लगभग एजेंडे भी वहीं रहते है। लेकिन कार्रवाई का असर नजर नहीं आता। रही बात सट्टा पर रोक लगाने की तो शहर में कई सटोरियें ऐसे है जो कि दशकों से सट्टा खेला रहे है। सट्टे के दम पर अकूत सम्पत्ति बना चुके है। आधे शहर को इनके सट्टा कारोबार की जानकारी है लेकिन पुलिस की संभवत: मौन स्वीकृति इन्हें मिलने की चर्चा है तभी तो इतने सालों से यह अवैध कार्यो को अंजाम देते आ रहे है। शहर के लगभग सभी वार्डो में 3 से 4 सटोरियें एक्टिव है जो कि ज्यादातर फोन के माध्यम से सट्टा के कारोबार को आपरेट करते है। ऐसे में कभी घर से तो कभी कंही और से सट्टा लिखते है। फोन से ही सट्टा काम हो जाता है लेकिन पुलिस चाहे तो इन्हे आसानी से पकड़ सकती है। क्योंकि ये अंडर ग्राउंड नहीं रहते है घूमते-फिरते काम करते है। चौक चौराहो पर मिल जाते है।
कुछ दुकान से तो, कुछ आफिस से लिख रहे है सट्टा
शहर में कई ऐसे स्थान है जो कि सट्टा के लिये जाना जाता है। कोलियारी, रामबाग, जालमपुर, बनियापारा, मराठापारा, कोष्टापारा, ब्राम्हणपारा, रिसाईपारा, नवागांव, लालबगीचा, मकेश्वर वार्ड, बस स्टैण्ड सहित कई वार्डो में सट्टा का जोर ज्यादा है। इनमें कुछ स्थानों पर बकायदा दुकान में तो कुछ स्थानों पर सटोरिये आफिस से सट्टा लिखते है।
नये जुआ सट्टा प्रतिषेध अधिनियम का नहीं पड़ा प्रभाव
भूपेश बघेल सरकार द्वारा जुआ, सट्टा पर रोक लगाने नया जुआ सट्टा प्रतिषेध अधिनियम लागू किया गया। जिससे उम्मीद थी कि सटोरियों, जुआरियों पर कार्रवाई का भय होगा। लेकिन उक्त अधिनियम का अब तक कोई प्रभाव इस अवैध कारोबार पर नहीं पड़ा। बताया जाता है कि नये अधिनियम के तहत सजा व जुर्माने का प्रावधान बढ़ा है। साथ ही यदि पुलिस उचित धारा लगाये तो उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है। लेकिन पुलिस की ढिलाई से नये अधिनियम से ज्यादा लाभ नही मिल रहा है। पुलिस द्वारा जुआ फड़ से कभी गाडिय़ा मोबाईल जब्त करती है. जबकि ज्यादातर मामलों में गाडिय़ां मोबाईल की जप्ती ही नहीं बनाती है।
सटोरियों में नहीं रहा पुलिस का खौफ
कुछ साल पहले जब जिले में नया पुलिस कप्तान व थाने में नया थानेदार आता था तो सटोरियों स्वमेव ही भूमिगत हो जाते थे। लेकिन अब उनमें कोई डर नहीं रहा। बल्कि खुलेआम थानो के आसपास भी सट्टा लिखते है। न ही पुलिस पहले की तरह सटोरियों के खिलाफ अभियान चलाती है जिससे कार्रवाई का भय उत्पन्न हो। यह सुस्ती पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही है।