Uncategorized

मीडियम रेंज वाले चावल के दाम में हुई 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी

समर्थन मूल्य में 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी का असर, बीते दो माह में दामो में आया तेजी से उछाल

गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों का बिगड़ रहा रसोई का बजट
धमतरी। आम जनता मंहगाई से पहले से ही त्रस्त है। उस पर हमारे डेली मील की सबसे महत्वपूर्ण अन्न चावल के दाम में बढ़ोत्तरी का सीधा असर आम जनता के मासिक बजट पर पड़ रहा है। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में गत विधानसभा चुनाव के पूर्व ही भाजपा व कांग्रेस द्वारा किसानों के कई कल्याणकारी घोषणाएं की गई थी। जिससे भाजपा द्वारा सत्ता आने पर 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य में धान खरीदी का वादा भी था जिसका असर भाजपा की सरकार आने पर नजर आ रहा है। किसानो को तो बढ़े हुए धान के दाम का लाभ मिलेगा लेकिन इससे मार्केट में बिकने वाले चावल के दाम में तेजी आ गई है। दो माह पूर्व जो मीडियम रेंज का चावल 25 से 27 रुपये प्रति किलो में बिकता था वह अब 35 से 38 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। पहले मीडियम रेंज का सांभा मासुरी का चावल 3800 से 4000 रुपये क्विंटल बिकता था। यह बढ़कर 4500 से 4800 तक पहुंच गया है। एचएमटी चावल 4800 से 5000 रुपये क्विंटल के भाव बिकता था जो बढ़कर 5600 से 5800 तक हो गया है। इसी प्रकार श्रीराम चावल के दाम पहले 5800 से 6000 रुपये था जो कि 6500 से 6800 तक हो गया है। सभी मीडियम रेंज के चावलों में 15 से 20 फीसदी का बढ़ोत्तरी हो गई है।
2 लाख से अधिक बीपीएल राशन कार्डधारी
बता दे कि धमतरी जिले में 2 लाख 14 हजार से अधिक बीपीएल राशन कार्डधारी है। वहीं 26 हजार से अधिक सामान्य कार्डधारी है। बीपीएल कार्डधारियों को सरकार द्वारा मुफ्त में राशन चावल प्रदान किया जाता है। जबकि एपीएल कार्डधारियों को 10 रुपये प्रति किलो के भाव से चावल प्रदान किया जाता है। वहीं बीपीएल परिवारों को किफायती दर पर शक्कर और मिट्टी का तेल भी प्रदान किया जाता है। लाखों की संख्या में बीपीएल कार्डधारी होने के बाद भी अधिकांश कार्डधारी सरकार से मिले चावल को नहीं खाते उसे चावल दुकान या दलालों को बेचकर उनके एवज में पैसे लेते है। और उस पैसे में अपना पैसा मिलाकर राशन दुकान से मीडियम रेंज चावल खरीदते है।
पालिश के बाद खरीदते है ज्यादा दाम देकर उसी चावल को
ज्यादातर लोग या तो स्टेटस जताने या फिर सरकारी राशन का चावल मोटा होने नहीं पचने की शिकायत के कारण नहीं खाते और दलालों को राशन दुकान के सामने ही बेच देते है। उसी चावल को दलाल राशन दुकानों या कुछ राईस मिलो को बेच देते है। फिस उसी चावल को पालिश कर नये पैकिंग, नाम से निजी राशन दुकानों में लाया जाता है। और ग्राहक दुकान से उसी पालिस चावल को ज्यादा दाम चुका कर खरीदते है। पिछले कुछ सालों में सत्ता होने के कारण खंडा चावल की डिमांड तेजी से बढ़ा है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!