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दो दशक बाद भी पीजी कॉलेज में नहीं हो पाई नियमित प्राध्यापकों की भर्ती

अतिथि प्राध्यापकों से चलाया जा रहा काम, सालों से भर्ती की विद्यार्थी कर रहे है मांग

पूर्व में छात्र संगठनों द्वारा की जा चुकी है मांग को लेकर आंदोलन लेकिन नहीं हुआ कोई असर
धमतरी । जिले के सबसे बड़े शासकीय महाविद्यालय बाबु छोटेलाल श्रीवास्तव स्नातकोत्तर महाविद्यालय धमतरी में विगत दो दशकों से प्राध्यापकों की कमी है लेकिन आज तक यह समस्या दूर नहीं हो पाई है। बल्कि अतिथि प्रोफेसर की नियुक्ति कर शैक्षणिक कार्य कराया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बीसीएस शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हजारों छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते है। यहां अलग-अलग संकायों की शिक्षा प्रदान की जाती है। छात्र यहां बेहतर शिक्षा की उम्मीद से एडमिशन लेते है। लेकिन रेगुलर प्राध्यापकों की कमी के कारण शिक्षा प्रभावित होती है। हालांकि यहां अतिथि प्राध्यापकों को रखकर शिक्षा दी जा रही है। लेकिन रेगुलर प्राध्यापकों की भर्ती की मांग सालों से हो रही है। बता दे कि लगभग दो दशक पहले से ही पीजी कॉलेज में रेगुलर प्राध्यापकों की कमी बनी हुई है। छात्र-छात्राओं द्वारा समय-समय पर प्राध्यपकों की भर्ती की मांग की जाती रही है। वहीं विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा भी नियमित भर्ती की मांग हेतु कई आंदोलन चलाया गया प्राचार्य को कुलपति के नाम व जिला प्रशासन को भी ज्ञापन सौंपा जा चुका है। बाउजूद इसके इस मांग पर आज तक शासन ने कोई बड़ा छात्रहित में निर्णय नहीं लिया है। छात्रा काव्या सेन, वेदिका देवांगन ने चर्चा के दौरान बताया कि विश्व विद्यालय की परीक्षायें जल्द प्रारंभ होने वाली है। ऐसे में इस सत्र में भी नियमित प्राध्यापकों की भर्ती नहीं हो पाई है। छात्र-छात्राओं द्वारा कई बार विभिन्न तरीकों से प्राध्यापकों के भर्ती की मांग की गई है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
42 पद रिक्त
बता दे कि पीजी कॉलेज धमतरी में कुल 97 पद स्वीकृत है. जिनमें से मात्र 55 पदों पर भर्ती हुई है। जबकि 42 पद अभी भी रिक्त है। इनमें पीजी कॉलेज में हिन्दी, इतिहास, अर्थशास्त्र, गणित, वाणिज्य, रसायन, भौतिकी शास्त्र, प्राणीशास्त्र, सूचना व प्रौद्योगिकी व अंग्रेजी के प्राध्यापकों के पद रिक्त बताये जा रहे है। वहीं वाणिज्य में सहायक प्राध्यापक का 2 समेति अन्य पदों का भी सहायक प्राध्यापक छात्रावास अधीक्षक समेत अन्य पद रिक्त है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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