दो दशकों से नहीं पता है जिले के जंगलो में है कितने वन्य जीव
पूर्व में दो बार हुई वन्य जीवों की गणना की नहीं मिली रिपोर्ट, अंदाजे से ही चल रहा काम
आज मनाया जा रहा विश्व वन्य जीव दिवस लेकिन बिना सही जानकारी कैसे होगा वन्य जीवों का संरक्षण
धमतरी। आज 3 मार्च को पूरी दुनिया विश्व वन्य जीव दिवस मना रही है। इसका उद्देश्य जंगली जीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरुकता बढ़ाने और वन्य जीवों का संरक्षण करना है। यह तभी संभव हो सकता है जब शासकीय विभागों में यह पता हो कि उनके अधिकार वाले वन्य क्षेत्रो में कितने और कौन-कौन से वन्य जीव है। लेकिन विडम्बना है कि धमतरी वन विभाग के पास इसकी सटीक जानकारी नहीं है। आंकड़ों के नाम पर वन विभाग के पास अभी भी साल 2005 में हुए वन्य जीवों की गणना की ही रिपोर्ट है। उक्त गणना को लगभग दो दशक बीत चुके है। इतने लंबे अंतराल में तो आंकड़े काफी बदल गये होंगे। कई जीवों की स्वाभाविक और अन्य कारणों से मौत हो चुकी होगी। जबकि कई नये जीव पैदा हो चुके होंगे। कई जीवों का यहां से शिकार भी होने की आंशका है। वहीं कुछ जीव यहां से पलायन भी कर सकते है। कुछ जीवों की संख्या भी बढ़ सकती है। बता दे कि साल 2012 में वन्य जीवों की पुन: गणना हुई लेकिन रिपोर्ट नहीं मिली। इसके बाद साल 2018 में पुन: वन्य जीवों की गणना हुई फिर रिपोर्ट सामने नहीं आई इसलिए पुराने डाटा के आधार पर ही वन विभाग की टीम कार्य कर रही है। या कह सकते है अंदाजे से ही काम चल रहा है।
2005 में थे 4 बाघ, 93 तेंदुआ
वर्ष 2005 में वन्य जीवों की गणना हुई थी उसके आधार पर जिले के वनो में 4 बाघ, 93 तेंदुआ, 76 जंगली कुत्ता, 254 सोनकुत्ता, 98 भालू, 91 सांभर, 1220 गौर थे। इसके अतिरिक्त कई अन्य जीव जंगल में होने की जानकारी दी गई थी। बता दे कि 2005 के बाद 2012 और 2018 में हुई वन्य जीवों की गणना के दौरान मिले वन्य जीवों के फुट प्रिंट, फोटो ग्राफ्स सहित अन्य जानकारियां भारतीय वन्य जीव संरक्षण सोसायटी देहरादून भेजी गई थी। लेकिन वन्य जीवों की सही जानकारी उपलब्ध ही नहीं करवाई गई ऐसे में फिर अंदाजे के आधार पर वन्य जीवों का संरक्षण हो रहा है। सीतानदी टायगर रिजर्व और उदंती टायगर रिजर्व साल 2008 में एक हुए जिसका बड़ा हिस्सा गरियाबंद जिले में आता है। इनके एक होने से वन्य जीवों की संख्या का बदल चुकी है।
20 सालों में बदली परिस्थिति व जीव
20 साल पुराने रिकार्ड के आधार पर आज वन्य जीवों की संख्या को सही नहीं माना जा सकता है। बीते कई सालों में जिले में बाघो के विचरण या होने के प्रमाण नहीं मिले है। जबकि रिकार्ड में 4 बाघ है। शिकार भी बढ़े है। इससे अन्य जीवों की संख्या प्रभावित हुई है। पिछले कुछ सालों में जिले में हथियों की चहलकदमी बढ़ी है। सांभर का दल भी जिले में पहुंचा अन्य वन्य जीव जैसे भालू भी आबादी वाले इलाकों में विचरण करते रहे। कई स्थानों अजगर सांप भी मिलते रहते है। इसलिए नयी गणना कर सटीक आंकड़ो की आवश्यकता है ताकि सही तरीके से वन्य जीवों का संरक्षण हो सकें।
प्रदेश में कम हुए 130 तेन्दुएँ, जिले में घट सकती है संख्या
बीते दिनों नेशनल टायगर कंजर्वेशन अथारिटी (एनटीसीए) की रिपोर्ट से यह आकड़े सामने आये है कि छत्तीसगढ़ में बीते 5 सालो में 130 तेन्दुएं घटे है। साल 2018 में छग में 852 तेन्दुएँ थे। वर्तमान में 722 रह गए है। जिले में 2005 के आंकड़े के अनुसार 93 तेन्दुएं है। लेकिन हाल ही में जारी हुए नयी रिपोर्ट के अनुसार जिले में तेन्दुएं की संख्या घटने की आंशका है। इसकी सटीक जानकारी वन्य जीवों की गणना के बाद ही हो पाएगी।