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सस्ते के चक्कर में आनलाईन दवा मंगाकर खाना पड़ सकता है भारी

बिना डाक्टरी सलाह व पर्ची के आनलाईन मंगाई जा रही दवा, बिगाड़ सकती है सेहत

आनलाईन दवा नकली, पुरानी और हो सकता है अप्रभावी
धमतरी। बीते कुछ सालों में आनलाईन शॉपिंग का क्रेज तेजी से बढ़ा है। लोग आनलाईन एप के माध्यम से शापिंग करते है और एडवांश या कैश आन डिलवरी कर घर पहुंच सामान को लेते है। अन्य सामान्य उत्पादों तक आनलाईन शापिंग ठीक था लेकिन लोग दवाईयां भी आनलाईन एप के माध्यम से मंगा रहे है। यह प्रवृत्ति लोगों को भारी पड़ सकती है। बता दे कि मेडिकल स्टोर्स में दवाईयां तो मिल जाती है लेकिन जो डिस्काउंट आनलाईन शापिंग एप में दवाईयां खरीदी पर मिलती है वह मेडिकल स्टोर्स में नहीं मिल पाती यही कारण है लोग सस्ती दवा पाने के चक्कर में अब आनलाईन दवा खरीदी करने लगे है। लेकिन आनलाईन दवा की विश्वनीयता संदेह के दायरे में होता है इसके नकली होने अप्रभावी होने एक्सपायरी या पुरानी होने आदि का खतरा बना रहता है। ऐसा नहीं है कि सभी आनलाईन सप्लाई एप ऐसे है लेकिन इनमें कुछ एप ऐसे हो सकते है। इसलिए आनलाईन एप से दवा खरीदी और ज्यादा डिस्काउंट का चक्कर भारी पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त लोग अब स्वयं को डाक्टर समझने लगे है आनलाईन दवा मंगाने के साथ ही यु ट्युब व अन्य सोशल मीडिया एप के माध्यम से बीमारी लक्षण और उपचार की जानकारी लेकर सुझाये गये दवा मंगाते है। यह बेहद घातक हो सकता है। डाक्टर हमेशा से बिना चिकित्सकीय जांच व सलाह के दवाईयां सेवन से बचने की सलाह देते रहे है। लेकिन लोग अपनी स्तर पर खोजबीन कर दवा मंगाकर सेवन कर रहे है। जिससे शरीर को गंभीर नुकसान हो सकता है। शहर के मेडिकल स्टोर्स संचालक भी आनलाईन दवा खरीददारी का विरोध करते है। साथ ही इससे संभावित नुकसान से लोगों को अवगत कराते है। पूर्व में दवा विक्रेता संघ द्वारा ई फार्मेसी और आनलाईन दवाओं के वितरण को लेकर राज्य व राष्ट्र स्तरीय विरोध किया जा चुका है।


सख्त कानून और रोक की है आवश्यकता
मेडिकल स्टोर्स में कई दवाईयां बिना डाक्टरी पर्ची के नहीं बेची जा सकती है। लेकिन आनलाईन आसानी से उपलब्ध हो जाता है। ऐसे कई खतरों को देखते हुए आनलाईन दवा बिक्री के संबंध में विशिष्ठ कानून बनाने की मांग हो रही है। बता दे कि आनलाईन दवा बिक्री पर स्वास्थ्य विभाग का भी कोई नियंत्रण नहीं है। न ही विभाग के पास कोई आकड़े होते है। आनलाईन बिक्री की निगरानी भी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं होता इसलिए सख्त कानून आवश्यक हो गया है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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