भूसा व सीमेंट राख गाडिय़ां बढ़ा रही आखो की परेशानी
कटे-फटे तिरपाल से ढक कर किया जाता है भूसा का परिवहन, उड़कर राहगीरों की आंखो में घुसता है भूसे का कण
सीमेंट राखड़ व भूसा के कण चिपक जाते आंख की पुतली से, डाक्टर के पास जाने से ही मिलती है राहत
धमतरी। शहर के भीतर से रोजाना हजारो छोटी बड़ी वाहनों का आवागमन होता है। इनमें भूसा सीमेंट बुरादा या राख गाडिय़ां भी शामिल है। लेकिन इन गाडिय़ों के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्ञात हो कि धान के छिलके से बने भूसे का कई कार्यो में उपयोग होता है। यह मवेशियों के चारे, तेल निकालने आदि कार्यो में उपयोग होता है। इसलिए इसकी डिमांड रहती है। इस भूसे के परिवहन के दौरान बरती जाने वाले लापरवाही राहगीरों, वाहन चालकों की परेशानी का कारण बनती है। भूसे को कटे फटे पुराने तिरपाल से ढककर गाड़ी के ट्राली से बाहर तक भरा जाता है। जिससे वाहन चलने के दौरान भूसा रास्ते भर उड़कर पीछे राहगीरों वाहन चालकों के आंखो में चला जाता है। इसी प्रकार राखड़ गाडिय़ों में लापरवाही बरती जाती है। नतीजन राख आंख में चला जाता है। आंख में जाने के बाद यह कण पुतली से चिपक जाता है। साधारण आदि ड्राप डालने या पानी से साफ करने पर भी कण आंख से बाहर नहीं निकल पाता है। ऐसे में डाक्टरों के पास जाकर ही राहत मिलती है। इस दौरान आंख में चुभन के कारण मलने से पुतली से खरोच आता है जो आंखो के लिए घातक साबित हो सकता है।
इसी प्रकार धमतरी शहर से होकर रोजाना भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे सड़क के निर्माण हेतु सीमेंट व्हाइट राखड़ पहुंचाया जाता है। इस परिवहन में भी लापरवाही बरती जाती है। बड़ी लंबी गाडिय़ों में इसका परिवहन के दौरान रास्ते भर राख सड़कों पर गिरता रहता है। जो कि वाहनों के पहियों से होकर उड़ कर आंखो में चला जाता है इससे भी आंख की परेशानी बढ़ जाती है। बता दे कि पिछले कुछ महीनों में आंखो में कचरा जाने का इलाज कराने अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। विडम्बना है कि इस ओर कई बार ध्यानाकर्षण के बाद भी अधिकारियों द्वारा ऐसे वाहनों की तो जांच की जाती है। और न ही कभी कार्रवाई होती है। इसलिए ऐसी लापरवाही बढ़ती जा रही है। साथ ही लोगों की परेशानी भी बढ़ती जा रही है।