लोकसभा चुनाव का अब तक जिले में नहीं बन पाया माहौल
भाजपा-कांग्रेस का सभा, बैठक व सोशल मीडिया में प्रचार पर है ज्यादा फोकस
धमतरी। चार महीने पहले जिस तरह विधानसभा चुनाव में चुनावी माहौल बना था उस प्रकार माहौल लोकसभा चुनाव में नहीं बन पा रहा है। हालांकि प्रत्याशी व उनके समर्थकों द्वारा प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। लेकिन सीधे जनता तक पहुंच न होने के कारण चुनावी रंग अब तक नहीं चढ़ पाया है। बता दे कि लोकसभा चुनाव के द्वितीय चरण के तहत 26 अप्रैल को जिले के तीनों विधानसभाओं में मतदान होगा। धमतरी कुरुद विधानसभा महासमुंद लोकसभा के अन्तर्गत आता है। जबकि सिहावा विधानसभा कांकेर लोकसभा के अन्तर्गत आता है। अब मतदान को मात्र 14 दिन ही शेष रह गया है। इसके बाद भी राजनीतिक पार्टियां जोरशोर से प्रचार नहीं कर पा रही है। बता दे कि महासमुंद लोस में इस बार 17 प्रत्याशी मैदान में है। लेकिन टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है। चुनाव में प्रचार-प्रसार हेतु भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों द्वारा जिले के तीनों विधानसभाओं का दौरा कई बार किया जा चुका है। इस दौरान डोर टू डोर जनसम्पर्क कम ही हो पाया है। बल्कि चुनावी सभा बैठक पर ज्यादा जोर रहा है। बैठक कर कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों को रणनीति बनाकर जिम्मेदारी दी जा रही है। साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार पर दोनो पार्टियों ेका ज्यादा फोकस ेहै। इसके माध्यम से भाजपा व कांग्रेस अपनी घोषणाओं व वादो को सीधे जनता तक पहुंचा रहे है। वही कॉल कर अपने पक्ष में मतदान की अपील की जा रही है। बता दे कि अब तक जिले में ऐसी कोई बड़ी चुनावी सभा या राष्ट्रीय नेताओं का आगमन नहीं हुआ है जिससे चुनावी रुख बदले। ज्यादातर सभा व बैठक सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं तक ही सीमित रहा है।
बैनर पोस्टर, स्लोगन, वाल पेटिंग की भी कमी
चुनाव में प्रचार का सशक्त माध्यम सालों से बैनर पोस्टर, झंडे लगाना, दीवारों पर पेटिंग व स्लोगन लिखना रहा है। आज भी यह चुनावी माहौल बनाने में सक्षम है। लेकिन लोकसभा चुनाव में इस ओर अब तक ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहा है। वैसे-वैसे झंडे, बैनर, पोस्टर की संख्या बढऩे लगी है। लेकिन अभी तक इसका कोई विशेष प्रभाव नजर नहीं आया है।
कार्यालय खोलने में देरी
नगरीय निकाय, पंचायत व विधानसभा चुनाव की तुलना में इस लोकसभा चुनाव में चुनावी माहौल कम ही नजर आ रहा है। यहां तक की चुनाव कार्यालय खोलने में भी देरी है। पहले विभिन्न ग्रामोंं वार्डो में चुनाव कार्यालय खोला जाता था। जिनमें आसपास के मतदाता रोजाना एकत्रित होते थे, लेकिन अभी तक चुनावी कार्यालय खोलने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। संभवत: चुनाव के सप्ताह भर पहले कार्यालय खुल सकता है।
प्रत्याशियों पर नहीं पार्टी के नाम पर वोट
धमतरी जिले के लिए दोनो लोकसभा के भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी नये है। स्थानीय प्रत्याशी को इस बार भी टिकट नही मिला है। ऐसे में मतदाता सीधे तौर पर प्रत्याशी को नहीं जानते है। वहीं अभी तक चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे ही हावी रहे है। स्थानीय धमतरी जिले के विकास व मांगो पर न कोई घोषणायें हुए है और न ही चर्चा इसलिए माना जा रहा है कि इस बार प्रत्याशी से ज्यादा पार्टी के आधार पर वोट हो सकता है।