आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से बढ़ा खतरा
कुत्तों की संख्या नियंत्रण पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
डॉग हाउस की योजना ठण्डे बस्ते में, सालों पहले हुई थी नसबंदी
धमतरी. आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से आमजन परेशान है। साल दर साल आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ते जा रही है। जिससे खतरा भी बढ़ता जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार पूर्व में कोरिया जिले के बैकुण्डपुर के छिन्दडांड इलाके में ईट भट्ट्ी में कार्य करने वाले सरगुजा निवासी मजदूर दम्पत्ति की 5 वर्षीय बच्ची सुबह सात बजे बिस्कुट लेने निकली और चंद कदम की दूरी पर ही कुत्तों के झुण्ड ने बच्ची पर हमला कर दिया जब बच्ची को अस्पताल ले जाया गया तो उसकी मौत हो चुकी थी। बच्ची को कुत्तों ने बुरी तरह नोंचा था। इस घटना से जिलेवासी भी सहम गये थे इसके अतिरिक्त पूर्व में जिले में कई ऐसी वारदात हो चुकी है जिसमें कुत्तों ने बच्चों व बड़ो को भी गंभीर चोट पहुंचाया। कुछ इलाको में तो शाम ढलने के बाद लोग बच्चों व बुजुर्गो को घर से बाहर निकलने से मना करने लगे है।
बता दे कि शहर में लगभग सभी वार्डो में आवारा कुत्तों की संख्या इतनी ज्यादा हो चुकी है कि लोग परेशान है। दिनरात कुत्तो का झुण्ड आसपास मंडराते रहता है। कई बार तो कुत्ते खूंखार हो जाते है और लोगों पर हमला कर देते है। आये दिन लोग कुत्ते के काटने की पीड़ा झेलते रहते है। बाउजूद इसके कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने कोई प्लान निगम या प्रशासन के पास नहीं है। ज्ञात हो कि सालों से डाग हाऊस बनाने की बाते हो रही है। लेकिन धरातल में इसका कोई वजूद नहीं है। वहीं सालों पहले एक निजी कंपनी को ठेका देकर आवारा कुत्तों की नसबंदी करवाई गई थी। उसके बाद से आज तक पुन: नसबंदी नहीं हो पाई है। जिससे संख्या बढ़ती जा रही है। बता दे कि उस दौरान भी शहर के एक चौथाई कुत्तों की नसबंदी की गई थी। जिसे भी कुत्तों की संख्या नियंत्रित नहीं हो पाई। वर्तमान में एक बार फिर कुत्तों की नसबंदी की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
रात में बढ़ जाता है कुत्तों का आंतक
दिन में कुत्ते नियंत्रित ही नजर आते है लेकिन रात होते ही कुत्ते झुण्ड में रहते है और दूसरे झुण्ड के कुत्तों पर भांैकते रहते है। इस दौरान वहां से कोई गुजर जाये तो वे उन पर ही हमला कर देते है। दिन में तो कुत्ते डरते है वहीं कुत्ते रात में लोगों को डराते है। कुछ स्थानों पर तो कुत्ते खूंखार हो चुके है। सीधे लोगों पर हमला कर देते है। इसलिए इनकी संख्या नियंत्रित करना जरुरी है।