जिले में औषधीय खेती को नही मिल रहा बढ़ावा
धान की फसल लेते है ज्यादातर किसान, फसल चक्र परिवर्तन पर नहीं दिया जा रहा ध्यान
धमतरी। जिले में किसानों की अधिकता है। जिले के ज्यादातर किसान धान की फसल लेना ही पसंद करते है। कई किसान डबल फसल लेते है। वे भी धान की फसल को तवज्जों देते है। यदि किसान फसल चक्र परिवर्तन पर ध्यान दे और औषधीय पौधो की खेती करे तो किसान समृद्ध और उन्नत हो सकते है। ज्ञात हो कि जिले में बड़ी संख्या में किसान सालों से धान की फसल लेते आ रहे है। कुछ किसान गेहूं, सब्जी व फूल की खेती भी करते है। वहीं कुछ किसान फलों की खेती भी करते है। लेकिन औषधीय पौधो की खेतो को नजरअंदाज कर रहे है। जिले के कुछ ही किसान सीमित क्षेत्र में औषधि पौधो की खेती कर रहे है। इनमें भी ऐलोवीरा और लेमनग्रास की खेती ज्यादा होती है। वर्तमान में औषधीयुक्त पौधो की खेती फायदे का कार्य बन चुका है। इनमें यदि किसान सफल हो जाये तो धान व अन्य पारम्परिक खेती से कंही अधिक आय अर्जित कर सकते है। पहले प्रदेश में औषधीय युक्त खेती के लिए बाजार ठीक से नहीं था लेकिन अब अच्छा बाजार है। खरीददार भी है। दाम भी ज्यादा मिलता है लेकिन फिर भी जिले के किसान इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। बता दे कि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने और बनाये रखने फसल चक्र परिवर्तन अत्यन्त आवश्यक है। लेकिन किसान सालों से एक ही फसल उगा रहे है। साथ ही अंधाधुंध कीटनाशको से उपजाऊ क्षमता भी घटती है। यदि किसान लेमन ग्रास, ऐलोवीरा के साथ ही खुश, सफेद मुसली, बुच, सर्पगंध, इंसिड्रीडोरा, अश्वगंधा, पाचुली सनय आदि की खेती जिले के किसान नहीं करते।
जानकारी का है आभाव
ज्यादातर किसान पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही प्रकार की फसल लेते है। इसके लिये उन्हें अलग से जानकारी लेने या सीखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। लेकिन नयी व औषधीय खेती के लिए नयी जानकारी लेनी होगी। वातावरण मिट्टी का प्रकार, बीज, फसल तैयार होने का समय आदि कई प्रकार की जानकारी लेकर ही फसल लिया जा सकता है। कृषि में कई प्रकार के नवाचार हो रहे है। यदि किसान जानकारी लेना चाहे तो नि:शुल्क ले सकते है। शासन द्वारा किसानों का मार्गदर्शन किया जाता है। इसके अतिरिक्त कृषि उद्यानिकी विभाग को भी किसानों को इसके लिए प्रेरित करना होगा। औषधीय पौधो की खेती के फायदों से किसानों को अवगत कराना होगा।