बर्फ और रंगीन कुल्फी से सेहत बिगडऩे का खतरा
बर्फ की शुद्धता की जांच है जरुरी, स्तरहीन सस्ते रंगो का हो रहा इस्तेमाल
धमतरी। गर्मी शुरु होते ही ठण्डे के शौकीनों की संख्या बढ़ जाती है। सभी वर्ग के लोग बर्फ और बर्फ से बने कुल्फी आईसक्रीम आदि का रोजाना सेवन करते है। लेकिन इनके पूर्णत: शुद्ध नहीं होने और इस्तेमाल किये जाने वाले रंगो की गुणवत्ता सही नहीं होने से सेहत बिगडऩे का खतरा भी मंडराने लगा है। ज्ञात हो कि बच्चों से लेकर युवा बुजुर्ग सभी वर्ग के लोगों द्वारा शहर में विभिन्न ठेलो के माध्यम से बिकने वाले बर्फ वाले कुल्फी आईसक्रीम का सेवन लगातार किया जा रहा है। लेकिन इसमें उपयोग वाले रंगो की गुणवत्ता भगवान भरोसे होते है। बता दे कि उक्त रंग केमिकल से बने होते है जो कि सेहत के लिए हानिकारक हो सकते है। कुछ मंहगे रंगो जो ब्रांडेड कंपनियों के होते उनमें सेहत को ध्यान में रखते हुए रंगो का निर्माण कराया जाता है। लेकिन वे मंहगे होते है इसलिए स्तरहीन सस्ते हानिकारक केमिकल युक्त रंगो इस्तेमाल किया जाता है। जिससे सेहत बिगड़ सकती है। दरअसल बर्फ जमाकर बेचने के लिए खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग से लायसेंस लेना पड़ता है। शहर में चुनिंदा बर्फ फैक्ट्रिया है लेकिन उनमें सभी मानकों का पालन हो रहा है या नहीं इसकी जांच जरुरी है। दरअसल बर्फ जमाने वाले पानी की गुणवत्ता बर्फ जमाने के लिए उपयोग होने वाले केन की शुद्धता, बर्फ के भंडारण, परिवहन और विक्रय के लिए नियमों व शुद्धता का पालन अनिवार्य है। चूंकि बर्फ पानी की तरह ही सीधे उपयोग में लिया जाता है। इसलिए इसकी गुणवत्ता बिगड़ी तो इसके शॉर्ट व लांगटर्म इफेक्ट स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। चर्चा है कि यदि जिम्मेदार विभाग औचक निरीक्षण कर नियमों के पालन की पड़ताल करे तो कई स्थानों पर लापरवाही उजागर हो सकती है। लेकिन विभाग द्वारा इस ओर ध्यान न दिया जाना समझ से परे है।
घर में ही खोल रखे है आईसक्रीम फैक्टरियां
उल्लेखनीय है कि किसी भी खाद्य सामाग्री के निर्माण व बिक्री के लिए लायसेंस लेना अनिवार्य है। फिर मानकों का पालन करते हुए खाद्य सामाग्रियों का निर्माण किया जाता है। लेकिन जिले व शहर में कुछ लोग ऐसे है जो सालों से लोगों की सेहत से साथ खिलवाड़ कर रहे है। इनके द्वारा घर पर ही बर्फ जमाई जाती है। घर पर ही दुध व अन्य प्रकार के कुल्फी आईसक्रीम तैयार कर बिना किसी बैच नम्बर के सीधे ग्राहकों को बेचा जाता है। इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि कौन सी सामाग्री कितने मात्रा में डाली गई है। और इसका निर्माण कब किया गया है। सूत्रों की माने तो इन स्थानों पर समय-समय पर कुछ अधिकारी आते है लेकिन बिना कार्रवाई के लौट जाते है। इससे मिली भगत की आशंका भी व्यक्त की जा रही है।